चूरू, 21 मई। चाहे बर्फीली हवा हो या तूफान, खून जमा देने वाली सर्दी हो या ऑक्सीजन की कमी। हिमालय की वादियों की ये तमाम बाधाएं चूरू के सपूत गौरव शर्मा को माउण्ट एवरेस्ट फतह करने से नहीं रोक पाईं। जोश, जुनून और उत्साह से लबरेज गौरव ने दो महीने के अदम्य साहस के बाद आखिर 20 मई को इतिहास रच ही दिया। आइए आपकों भी रू-ब-रू करवाते हैं गौरव के बढ़ते कदमों से....
- 15 मार्च 09- चूरू से माउण्ट एवरेस्ट के लिए रवाना।- 18 मार्च 09- नेपाल की राजधानी काण्डमांडू
- 16 अप्रेल 09- बर्फीली रात में दो बजे खुम्बू ग्लेशियर पार कर प्रथम कैम्प में रखा कदम।
- 21 अप्रेल 09- इक्कीस हजार फीट ऊंचाई पर स्थित द्वितीय कैम्प पर रात दो बजे से चढ़ाई शुरू
- 28 अप्रेल 09- द्वितीय कैम्प में पांच दिन ठहरने के बाद वापस प्रथम कैम्प और 24 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित तीसरे कैम्प की ओर बढ़ा।
- 11 मई 09- तीसरे कैम्प पर सफलतापूर्वक रखा कदम। 17 हजार 500 फीट ऊंचे बेस कैम्प पर चढ़ाई के लिए किया मौसम साफ होने का इंतजार।
- 17 मई 09- माउण्ट एवरेस्ट फतह करने से चंद कदम दूर। सुबह चार बजे बेस कैम्प से रवाना।
- 20 मई 09- सूर्योदय से पहले गौरव ने रचा इतिहास। सुबह साढ़े छह बजे धोरों के लाल के कदमों ने चूमीं एवेरेस्ट की चोटी।
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