Wednesday, August 11, 2010

प्रवेश तो दे देंगे, बैठाएंगे कहां?

महाविद्यालय हलचल :
जिले के मॉडल कॉलेज में कमरों का टोटा, सेक्शन बढऩे से बढ़ी परेशानी
चूरू. महाविद्यालयों में हाल ही सीटें बढ़ाए जाने से भले ही विद्यार्थी खुशी से फूले नहीं समा रहे हों मगर चूरू के राजकीय लोहिया महाविद्यालय प्रबंधन के लिए बढ़ी हुई सीटें कोढ़ में खाज साबित हो रही हैं। दरअसल जिले के सबसे बड़े और मॉडल कॉलेज का दर्जा प्राप्त इस महाविद्यालय में विद्यार्थियों को बैठाने के लिए पर्याप्त कक्षा कक्ष नहीं हैं। लम्बे समय से पर्याप्त कक्षा कक्षों की समस्या से जूझ रहे लोहिया महाविद्यालय में इस बार कला संकाय में 160 व वाणिज्य संकाय में 80 सीटें बढऩे से विद्यार्थियों को बैठाने को लेकर समस्या खड़ी हो गई है। फिलहाल महाविद्यालय में कक्षाएं लगाने के लिए आवश्यकता की तुलना में कम कक्ष ही उपलब्ध हैं। महाविद्यालय में तीन संकायों के यूजी व पीजी के विद्यार्थियों की संख्या चार हजार के आस-पास है। वाणिज्य संकाय की कक्षाएं सुबह 8 बजे, कला संकाय की 9 बजे व विज्ञान संकाय की 10 बजे शुरू होती हैं। दोपहर 12 बजे बाद तो महाविद्यालय में विकट स्थिति पैदा हो जाती है। विद्यार्थियों को बैठने के लिए कमरे खाली नहीं मिलते।

कितनी है आवश्यकता
महाविद्यालय में यूजी कक्षाओं के कुल चालीस सेक्शन हैं। इनमें तीनों संकाय के प्रथम वर्ष के 18, द्वितीय वर्ष के 12, तृतीय वर्ष के 10 सेक्शन शामिल हैं। इसके अलावा एमकॉम में एबीएसटी, ईएफएम, बीएडएम, एमए में राजनीतिक विज्ञान व इतिहास और एएससी में केमिस्ट्री, बॉटनी और जूलॉजी के कक्षाओं के लिए कम से कम 16 कक्षा कक्षों की आवश्यकता है। महाविद्यालय को प्रभावी शिक्षण व्यवस्था बनाए रखने के लिए 56 कक्षा कक्षों की दरकार है।

क्या है उपलब्धता

महाविद्यालय की ऊपरी व निचली मंजिल पर कुल 87 कमरें बने हुए हैं। इनमें से प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, स्टाफ, प्रयोगशालाएं, लेखा शाखा, स्टोर, नॉलेज सेंटर, पुस्तकालय, कॉमन रूम, कम्प्यूटर फेसिलिटी सेंटर, एनएसएस व एनसीसी आदि के लिए पचास से अधिक कमरे आवंटित हैं। कक्षा कक्ष के रूप में 35-40 कमरे काम लिए जा रहे हैं। महाविद्यालय के छह कमरों में विधि महाविद्यालय संचालित है।

क्या है समाधान
महाविद्यालय में कक्षा कक्षों की संख्या बढ़ाने के लिए किसी संकाय का अलग से ब्लॉक बनवाने की यूजीसी से मांग की जा सकती है। इसके अलावा महाविद्यालय के छात्रावास में वैकल्पिक व्यवस्था भी की जा सकती है। जानकारी के अनुसार महाविद्यालय के पास स्थित छात्रावास में कुल 128 कमरे हैं। विद्यार्थियों के रहने के लिए छात्रावास का आधा परिसर ही काम आ रहा है। छात्रावास में कम छात्र संख्या वाली कक्षाएं लगाए जाने पर भी विचार किया जा सकता है।

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महाविद्यालय ने निश्चित रूप से कक्षा कक्षों की कमी है। फिर भी शिक्षण व्यवस्था किसी प्रकार से प्रभावित नहीं होने दी जा रही है। इस बार आवश्यकता पड़ी तो पोर्च व गैलेरी में कक्षाएं संचालित कर लेंगे। इसके अलावा छात्रावास के खाली कमरे काम में ले लेंगे।
-एमडी गोरा, प्राचार्य, लोहिया महाविद्यालय, चूरू

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महाविद्यालय में छात्र संख्या चार हजार के आस-पास रहती है। मगर कक्षा कक्षों का हमेशा से अभाव ही रहा है। छात्रावास के खाली कमरों को काम लिया जा सकता है। हालांकि छात्रावास के कमरे अपेक्षाकृत छोटे हैं मगर उनमें पीजी की कक्षाएं आसानी से संचालित की जा सकती हैं।
-भंवर सिंह सामौर, पूर्व प्राचार्य, लोहिया महाविद्यालय,
२0 जुलाई 2010

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