Wednesday, August 11, 2010

अंग्रेजी की राह में 'कांटे'

महाविद्यालय हलचल :
लोहिया महाविद्यालय में अंग्रेजी का एक भी व्याख्याता नहीं
चूरू. विदेशी भाषा सीख कर कॅरियर बनाने की सोच रहे राजकीय लोहिया महाविद्यालय के सैकड़ों विद्यार्थियों का सपना टूटता नजर आ रहा है। समस्या यह है कि नए सत्र का आगाज हो चुका है मगर महाविद्यालय में अंग्रेजी का एक भी व्याख्याता नहीं है। ऐसे में अनिवार्य अंग्रेजी और अंग्रेजी साहित्य के विद्यार्थियों की राह में 'कांटेÓ दिखाए दे रहे हैं। नए सत्र में अंग्रेजी की कक्षाएं शुरू करने को लेकर महाविद्यालय प्रबंधन की भी चिंता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। उधर, डाइट में सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को अंग्रेजी में अधिक पारंगत करने के लिए स्थापित लिंग्वा लैब प्रशिक्षक के अभाव में बंद पड़ी है। यहां पर इस साल मार्च में ही प्रशिक्षक का पद खाली हो गया था। लोहिया महाविद्यालय की लिंग्वा लैब का हाल ऐसा ही है। अंग्रेजी का व्याख्याता उपलब्ध नहीं होने के कारण पिछले साल अक्टूबर से लैब पर ताला लगा हुआ है। महाविद्यालय ने अंग्रेजी व्याख्याता नियुक्त किए जाने का प्रस्ताव आयुक्तालय को भेजा है। प्रस्ताव पर अमल जब होगा तब होगा इस शिक्षा सत्र में तो विद्यार्थियों के लिए अंग्रेजी पढऩे की राह में बाधा ही है।

तीनों पद खाली
जिले के इस एक मात्र मॉडल कॉलेज में अंगे्रजी व्याख्याताओं के कुल तीन पद स्वीकृत हैं, इनमें से एक पद करीब दस साल से खाली पड़ा है जबकि पिछले साल अक्टूबर में उप प्राचार्य पद पर प्रमोशन पाकर व्याख्याता जीएस महला राजकीय रूईया महाविद्यालय रामगढ़ शेखावाटी में तथा एचआर ईसराण राजकीय महाविद्यालय सरदारशहर चले गए। तब से लोहिया महाविद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाने वाला कोई नहीं है। इससे विद्यार्थी अंग्रेजी पढऩे से वंचित हो रहे हैं।

लैब पर जड़ा ताला
महाविद्यालय में करीब चार वर्ष पूर्व स्थापित लिंग्वा लैब पर वर्तमान में स्टाफ के अभाव में ताला लगा हुआ है। लैब में माइक्रोफोन, हैडफोन, ऑडियो कैसेट आदि उपकरण धूल फांक रहे हैं। महाविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य के विद्यार्थियों की संख्या तकरीबन पांच सौ के आस-पास है। साथ ही तीनों संकायों में अनिवार्य विषय के रूप में अंग्रेजी चुनने वाले विद्यार्थी भी सैकड़ों में हैं।

डाइट में लिंग्वा लैब को प्रशिक्षक का इंतजार
डाइट में राजकीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों में अंग्रेजी विषय पढ़ाने का स्तर सुधारने के उद्देश्य से नवम्बर 2008 में लिंग्वा लैब की स्थापना की गई। जिले के एक हजार 460 प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों में से अब तक180 को ही प्रशिक्षित किया गया है। 24 शिक्षकों को एक साथ प्रशिक्षण देने की क्षमता वाली यह लैब 23 मार्च 2010 के बाद से बंद पड़ी है। यहां पर प्रशिक्षक के रूप में तैनात सेवानिवृत अंग्रेजी व्याख्याता ओमप्रकाश तंवर व हीरालाल महर्षि बीएड महाविद्यालयों में चले गए। तब से डाइट में अंग्रेजी का कोई प्रशिक्षण शिविर नहीं लगाया जा रहा है।

क्या है लिंग्वा लैब
लिंग्वा लैब का नाम लैंगवेज से पड़ा है। लैब का उद्देश्य विद्यार्थियों का उच्चारण सुधार कर अंग्रेजी बोलने की झिझक दूर करना है। लैब में विद्यार्थियों को अंगे्रजी की विशेष अभ्यास पुस्तिका से देखकर अंग्रेजी में अपनी भाषा टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड करनी पड़ती है, जिसे हैडफोन के जरिए सुनने पर एक विशेष मशीन की मदद से उच्चारण आसानी से सुधारा जा सकता है। यह प्रक्रिया इतनी सरल है कि इससे कम समय में फटाफट अंग्रेजी बोलनी सीखी जा सकती है।

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अंग्रेजी का एक भी व्याख्याता नहीं है। इस समस्या की ओर आयुक्तालय का ध्यान दिलाया जा चुका है। जल्द ही व्याख्याताओं की तबादला सूची जारी होने वाली है। यहां के खाली पद भी भरे जाने की उम्मीद है। किसी कारणवश यदि ऐसा नहीं हुआ तो वैकल्पिक व्यवस्था से पढ़ाएंगे।
-एमडी गोरा, प्राचार्य, लोहिया महाविद्यालय, चूरू
लैब से जिलेभर के शिक्षक लाभान्वित हो सकते हैं। फिलहाल प्रशिक्षक के अभाव में लैब बंद कर रखी है। सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से प्रशिक्षक तैनात किए जाने हैं।
-सत्यनारायण स्वामी, प्रभारी, लिंग्वा लैब, डाइट, चूरू

1 comment:

  1. यहाँ की ही नही बल्कि पूरे शिक्षाः तंत्र की यही कहानी है...

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