इस बार अच्छी बारिश के आसार
मानसून एक जुलाई तक आने की उम्मीद
कार्यालय संवाददाता @ चूरू. थळी में पड़ रही भीषण गर्मी भले ही लोगों के पसीने छुड़ा रही हो, लेकिन यह अच्छी बारिश का संकेत भी है। सब कुछ ठीक रहा तो इस बार थळी के धोरों की प्यास पूरी तरह बुझ सकेगी। थळी की भौगोलिक एवं पारस्थितिकी स्थितियां इस तरह की हैं कि यहां जितनी तेज गर्मी पड़ती है उतनी ही अधिक बारिश की संभावना बनती है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस बार गत वर्षों की तुलना में इन्द्रदेव अधिक मेहरबान होने के आसार बन रहे हैं।
चूरू में इस सत्र का सर्वाधिक तापमान 48 .4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा चुका है। इसके अलावा सर्दियों में इस बार गत वर्ष की तुलना में अधिक बर्फबारी हुई थी। फिलहाल अधिकतम तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है।
साथ ही आंधियों के चलने का क्रम भी जारी है। ऐसे में प्रदेश के पश्चिमी इलाके में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता जा रहा है। जो पूर्व की ओर से आने वाले मानसून को तेजी से अपनी ओर खींचेगा। पूर्व से मानसून के दिल्ली व हरियाणा होते हुए 25 जून तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में दस्तक देने की उम्मीद है। शेखावाटी में मानसून के 1 जुलाई को पहुंचने का अनुमान है।
मानसून एक जुलाई तक आने की उम्मीद
कार्यालय संवाददाता @ चूरू. थळी में पड़ रही भीषण गर्मी भले ही लोगों के पसीने छुड़ा रही हो, लेकिन यह अच्छी बारिश का संकेत भी है। सब कुछ ठीक रहा तो इस बार थळी के धोरों की प्यास पूरी तरह बुझ सकेगी। थळी की भौगोलिक एवं पारस्थितिकी स्थितियां इस तरह की हैं कि यहां जितनी तेज गर्मी पड़ती है उतनी ही अधिक बारिश की संभावना बनती है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस बार गत वर्षों की तुलना में इन्द्रदेव अधिक मेहरबान होने के आसार बन रहे हैं।
चूरू में इस सत्र का सर्वाधिक तापमान 48 .4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा चुका है। इसके अलावा सर्दियों में इस बार गत वर्ष की तुलना में अधिक बर्फबारी हुई थी। फिलहाल अधिकतम तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है।
साथ ही आंधियों के चलने का क्रम भी जारी है। ऐसे में प्रदेश के पश्चिमी इलाके में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता जा रहा है। जो पूर्व की ओर से आने वाले मानसून को तेजी से अपनी ओर खींचेगा। पूर्व से मानसून के दिल्ली व हरियाणा होते हुए 25 जून तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में दस्तक देने की उम्मीद है। शेखावाटी में मानसून के 1 जुलाई को पहुंचने का अनुमान है।
तो झूमके बरसेंगे बदरा
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में जिले की परिस्थितियां अच्छी बारिश के अनुकूूल हैं। जब-जब भी ऐसे ही हालात बने हैं। तब-तब प्रदेशभर के खेतों में बदरा झूमकर बरसे हैं। इसके अलावा अगर जून में ज्यादा बारिश ना हो तो अच्छा है। क्योंकि इससे पश्चिमी इलाकों में निम्न दबाव का क्षेत्र बना रहे ताकि जून के अंतिम सप्ताह में पूरे वेग के साथ मानसून प्रदेश में पहुंच सके।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में जिले की परिस्थितियां अच्छी बारिश के अनुकूूल हैं। जब-जब भी ऐसे ही हालात बने हैं। तब-तब प्रदेशभर के खेतों में बदरा झूमकर बरसे हैं। इसके अलावा अगर जून में ज्यादा बारिश ना हो तो अच्छा है। क्योंकि इससे पश्चिमी इलाकों में निम्न दबाव का क्षेत्र बना रहे ताकि जून के अंतिम सप्ताह में पूरे वेग के साथ मानसून प्रदेश में पहुंच सके।
मिट्टी की करामात
थळी के धोरों की मिट्टी की करामात के कारण जिले को सर्दियों में कड़ाके की ठण्ड और गर्मियों में भीषण गर्मी की सौगात मिली है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जिले की मिट्टी की स्पेसिफिक हीट कैपेसिटी काफी कम है। इस वजह से गर्मियों में मिट्टी जल्दी गर्म और सर्दियों में जल्दी ठण्डी हो जाती है।
थळी के धोरों की मिट्टी की करामात के कारण जिले को सर्दियों में कड़ाके की ठण्ड और गर्मियों में भीषण गर्मी की सौगात मिली है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जिले की मिट्टी की स्पेसिफिक हीट कैपेसिटी काफी कम है। इस वजह से गर्मियों में मिट्टी जल्दी गर्म और सर्दियों में जल्दी ठण्डी हो जाती है।
बारिश का रास्ता
प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से उठने वाला मानसून मेहरबान होता है। खाड़ी से चलकर मानसून हिमालय की वादियों में पहुंचता है। यहां से बर्मा की पहाडिय़ों से टकराने के बाद पूर्व से पश्चिम की ओर रुख करता है। पश्चिम की ओर पहुंचते-पहुंचते मानसून कमजोर पड़ता जाता है। पश्चिमी इलाकों में जितना अधिक निम्न दबाव का क्षेत्र बनेगा। मानसून भी उतनी तेजी के साथ दस्तक देगा।
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इस बार मानसून पूरी तरह मेहरबान होने की संभावना है क्योंकि लगातार आंधियां चल रही है और सर्दियों में बर्फबारी भी ज्यादा हुई है। साथ ही तापमान भी बढ़ रहा है। कुल मिलाकर परिस्थितियां मानसून को बुलाने के अनुकूल है।
- जिलेसिंह राव, प्रभारी अधिकारी, मौसम केन्द्र, चूरू
प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से उठने वाला मानसून मेहरबान होता है। खाड़ी से चलकर मानसून हिमालय की वादियों में पहुंचता है। यहां से बर्मा की पहाडिय़ों से टकराने के बाद पूर्व से पश्चिम की ओर रुख करता है। पश्चिम की ओर पहुंचते-पहुंचते मानसून कमजोर पड़ता जाता है। पश्चिमी इलाकों में जितना अधिक निम्न दबाव का क्षेत्र बनेगा। मानसून भी उतनी तेजी के साथ दस्तक देगा।
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इस बार मानसून पूरी तरह मेहरबान होने की संभावना है क्योंकि लगातार आंधियां चल रही है और सर्दियों में बर्फबारी भी ज्यादा हुई है। साथ ही तापमान भी बढ़ रहा है। कुल मिलाकर परिस्थितियां मानसून को बुलाने के अनुकूल है।
- जिलेसिंह राव, प्रभारी अधिकारी, मौसम केन्द्र, चूरू
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