विश्वनाथ सैनी @ चूरू।
वन्यजीवों को भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए अब जंगल में ज्यादा नहीं भटकना पड़ेगा। वन विभाग ने वन्यजीवों के पानी के लिए होने वाले पलायन को रोकने तथा वन सम्पदा को संरक्षित और संवद्धित बनाने के लिए महती योजना बनाई है।
इसके तहत वन क्षेत्रों में पानी के ऐसे कुण्ड विकसित किए जाएंगे जहां बरसात का पानी एकत्र कर वन्य जीवों को सालभर पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। विशेष तौर पर बनने वाले कुण्डों को गजलर कहा जाएगा।
शुरुआती चरण में तालछापर कृष्णमृग अभयारण्य समेत वन क्षेत्र में पांच स्थानों का गजलर के लिए चयन किया गया है। योजना सफल रही तो इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। समस्त गजलर राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के माध्यम से विभाग की ईको रिस्टोरेशन योजना के तहत बनेंगे। विभाग ने गजलर के प्रस्ताव हाल ही मुख्यालय को भिजवाए
चालू वित्तीय वर्ष में इनका निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।
वन क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए वर्तमान में बने जलस्रोतों की तुलना में गजलर में 35 से 40 हजार लीटर से अधिक पानी संग्रहित किया जा सकेगा। बारिश के पानी से एक बार गजलर भर जाने पर सालभर तक पानी की कमी नहीं रहेगी। बारिश नहीं हुई तो टैंकर के जरिए गजलर को भरा जा सकेगा।
बूंद-बूंद आ सकेगी काम
गजलर का डिजाइन इस तरह तैयार किया गया है, जिससे बारिश के पानी की बूंद-बूंद वन्यजीवों के काम आ सकेगी। बारिश का पानी सबसे पहले चालीस हजार लीटर क्षमता के एक कुण्ड में जमा होगा। कुण्ड ऊपर से बंद होगा, लेकिन उसके पास बनने वाले विशेष घाट में कुण्ड का पानी पहुंचेगा, घाट पर पानी की उपलब्धता कुण्ड में भरे पानी के दबाव के अनुपात में कम-ज्यादा होती रहेगी। इससे पानी की छीजत नहीं होगी।जहां वन्यजीव हलक तर कर सकेंगे।
चयन का रखा खास आधार
वन विभाग ने गजलर निर्माण के चयन का खास आधार रखा है। गजलर उन स्थानों पर बनाया जाएगा जहां वर्तमान में वन सम्पदा की स्थिति खराब है। पेड़-पौध, झाड़, खरपतवार, घास आदि विकसित नहीं हो पा रही है। साथ ही वहां पानी के अभाव में वन्यजीवों को विचरण नहीं हो पाता है। गजलर के निर्माण से वन्यजीव पानी पीने तो वहां पहुंचेंगे ही साथ ही पानी होने पर आस-पास के क्षेत्र में बीजारोपण के माध्यम से पौध, घास आदि विकसित कर क्षेत्र को हराभरा किया जा सकेगा।
कटाई व चराई पर प्रतिबंध
नए सिरे से विकसित किए गए क्षेत्र में पौधों व पेड़ों की कटाई व चराई पर प्रतिबन्ध रहेगा। इनक्षेत्रों को तारबंदी कर सुरक्षित किया जाएगा। ग्रामीण इलाकों से लगते क्षेत्र में पक्की दीवार का निर्माण कराया जाएगा।
चयनित वन क्षेत्र
-लीलकी बीड़
-सांखू बीड़
-तालछापर कृष्णमृग अभयारण्य
-तारानगर बीड़
-ढाणी लालसिंह पुरा बीड़
जिले में वन्यजीव
काले हरिण -2025
चिंकारा -2705
नीलगाय -1036
जंगली बिल्ली -129
मरु लोमड़ी -124
गिद्ध -48
चील/बाज -141
साण्डा -4109
इनका कहना है...
महानरेगा के माध्यम से ईको रिस्टोरेशन योजना के तहत गजलर निर्माण के प्रस्ताव मुख्यालय को भेजे हैं। प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू करवा देंगे। जिले में गजलरों की शुरुआत पांच स्थानों से होगी।
-केसी शर्मा, डीएफओ, चूरू
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