चूरू। जिला मुख्यालय पर जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के माध्यम से आपूर्ति किए जा रहे पानी की चाबी अब डिजिटल टाइमर के पास होगी। पेयजल का समुचित वितरण और पानी के व्यर्थ बहाव पर लगाम कसने के लिए विभाग ने यह आधुनिक कदम उठाया है। इसके तहत विभाग ने शहर में स्थित अपने कुओं और नलकूपों पर डिजिटल टाइमर स्विच लगाना शुरू कर दिया है।
अत्याधुनिक तकनीकी से निर्मित टाइमर लगने के बाद कुएं और नलकूप अपने आप संचालित होंगे। इन्हें चालू या बंद करने के लिए ना तो पीएचईडी के कर्मचारियों को रातभर जगना पडेगा और ना ही घरों में रात को बिना आवश्यकता के जलापूर्ति होगी।
उपभोक्ताओं से पूछेंगे टाइम
शहर में पीएचईडी के लगभग सौ जलस्त्रोत संचालित हैं। स्टाफ की कमी या कार्मिकों की लापरवाही की वजह से अघिकांश जलस्त्रोत ना तो समय पर चालू हो पाते हैं ना ही बंद। कई जलस्त्रोत चौबीस घंटे चालू रहते हैं, जिनका पानी नलों के जरिए नालियों में व्यर्थ बह जाता है। विभागीय अभियंताओं की मानें तो जलस्त्रोत पर लगाए जाने वाले टाइमर में जलापूर्ति शुरू या बंद करने का समय उससे जुडे उपभोक्ताओं से राय-मशविरा करके सेट किया जाएगा। ताकि विभाग और उपभोक्ता के बीच तालमेल बना रहे।
यूं करता है काम
टाइमर की साइज मोबाइल से थोडी बडी है। इसेकुएं या नलकूप के पम्प को संचालित करने वाले पैनल बोर्ड के साथ लगाया जाएगा। जिससे पम्प को चालू या बंद करने वाले स्टार्टर पर टाइमर का पूरा नियंत्रण हो सके। खास बात यह है कि टाइमर में पम्प को चालू या बंद करने का समय पूर्व में निर्घारित किया जा सकेगा। निर्घारित समय पर बिना किसी व्यक्ति की मदद से पम्प स्वत: चालू या बंद हो जाएगा। टाइमर में एक बार टाइम सेट करने पर लम्बे समय तक बदलने की जरूरत नहीं पडेगी। हालांकि आवश्यकता पडने पर टाइमर के समय में कभी भी फेरबदल किया जा सकेगा।
शुरूआत में दो, बाद में पचास
विभाग ने चूरू के चांदनी चौक व गढ के पास स्थित नलकूप पर टाइमर लगाकर योजना की शुरूआत कर दी है। शहर के नौ तथा ग्रामीण क्षेत्र के दो जलस्त्रोतों पर भी जल्द ही टाइमर लगेगा। फिलहाल जलस्त्रोत चिह्नित किए जा रहे हैं। उन जलस्त्रोतों को प्राथमिकता दी जा रही है, जहां पानी अघिक व्यर्थ बहता हो। आगामी दो माह के दौरान कुल पचास जलस्त्रोतों पर टाइमर लगाया जाएगा।
ये भी होंगे फायदे
टाइमर का सबसे बडा फायदा पानी को व्यर्थ बहने से रोकना होगा। जलस्त्रोत चालू या बंद करने में लगा स्टाफ विभाग के अन्य कार्यो में काम लिया जा सकेगा। इसके साथ चौबीसों घंटे जलस्त्रोत चलने की वजह से मोटर जलने तथा पेयजल टंकियां ओवर फ्लो होने की समस्या भी अब नहीं रहेगी।
-----
पानी व बिजली की बचत तथा स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए शहर में विभाग के जलस्त्रोतों पर पहली बार टाइमर लगा रहे हैं। पहले दिन दो जगह टाइमर लगाए हैं। आगामी दो माह में पचास जलस्त्रोत पर टाइमर लगाएंगे। -अम्बिका प्रसाद तिवाडी, एक्सईएन, पीएचईडी
अत्याधुनिक तकनीकी से निर्मित टाइमर लगने के बाद कुएं और नलकूप अपने आप संचालित होंगे। इन्हें चालू या बंद करने के लिए ना तो पीएचईडी के कर्मचारियों को रातभर जगना पडेगा और ना ही घरों में रात को बिना आवश्यकता के जलापूर्ति होगी।
उपभोक्ताओं से पूछेंगे टाइम
शहर में पीएचईडी के लगभग सौ जलस्त्रोत संचालित हैं। स्टाफ की कमी या कार्मिकों की लापरवाही की वजह से अघिकांश जलस्त्रोत ना तो समय पर चालू हो पाते हैं ना ही बंद। कई जलस्त्रोत चौबीस घंटे चालू रहते हैं, जिनका पानी नलों के जरिए नालियों में व्यर्थ बह जाता है। विभागीय अभियंताओं की मानें तो जलस्त्रोत पर लगाए जाने वाले टाइमर में जलापूर्ति शुरू या बंद करने का समय उससे जुडे उपभोक्ताओं से राय-मशविरा करके सेट किया जाएगा। ताकि विभाग और उपभोक्ता के बीच तालमेल बना रहे।
यूं करता है काम
टाइमर की साइज मोबाइल से थोडी बडी है। इसेकुएं या नलकूप के पम्प को संचालित करने वाले पैनल बोर्ड के साथ लगाया जाएगा। जिससे पम्प को चालू या बंद करने वाले स्टार्टर पर टाइमर का पूरा नियंत्रण हो सके। खास बात यह है कि टाइमर में पम्प को चालू या बंद करने का समय पूर्व में निर्घारित किया जा सकेगा। निर्घारित समय पर बिना किसी व्यक्ति की मदद से पम्प स्वत: चालू या बंद हो जाएगा। टाइमर में एक बार टाइम सेट करने पर लम्बे समय तक बदलने की जरूरत नहीं पडेगी। हालांकि आवश्यकता पडने पर टाइमर के समय में कभी भी फेरबदल किया जा सकेगा।
शुरूआत में दो, बाद में पचास
विभाग ने चूरू के चांदनी चौक व गढ के पास स्थित नलकूप पर टाइमर लगाकर योजना की शुरूआत कर दी है। शहर के नौ तथा ग्रामीण क्षेत्र के दो जलस्त्रोतों पर भी जल्द ही टाइमर लगेगा। फिलहाल जलस्त्रोत चिह्नित किए जा रहे हैं। उन जलस्त्रोतों को प्राथमिकता दी जा रही है, जहां पानी अघिक व्यर्थ बहता हो। आगामी दो माह के दौरान कुल पचास जलस्त्रोतों पर टाइमर लगाया जाएगा।
ये भी होंगे फायदे
टाइमर का सबसे बडा फायदा पानी को व्यर्थ बहने से रोकना होगा। जलस्त्रोत चालू या बंद करने में लगा स्टाफ विभाग के अन्य कार्यो में काम लिया जा सकेगा। इसके साथ चौबीसों घंटे जलस्त्रोत चलने की वजह से मोटर जलने तथा पेयजल टंकियां ओवर फ्लो होने की समस्या भी अब नहीं रहेगी।
-----
पानी व बिजली की बचत तथा स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए शहर में विभाग के जलस्त्रोतों पर पहली बार टाइमर लगा रहे हैं। पहले दिन दो जगह टाइमर लगाए हैं। आगामी दो माह में पचास जलस्त्रोत पर टाइमर लगाएंगे। -अम्बिका प्रसाद तिवाडी, एक्सईएन, पीएचईडी
No comments:
Post a Comment