बजट 'ऊंट के मुंह में जीरा' होने के कारण यहां के ऐतिहासिक स्थल बदहाल हैं।
चूरू, 13 अप्रेल। संरक्षण के अभाव में थळी की विरासत धोरों में दफन होने के कगार पर है। जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित रतननगर कस्बे के ऐतिहासिक स्थल वैभव खो चुके हैं।विरासत संरक्षण योजना का बजट 'ऊंट के मुंह में जीरा' होने के कारण यहां के ऐतिहासिक स्थल बदहाल हैं। संरक्षण योजना के लिए रतननगर नगरपालिका ने 2006-07 में 95.84 लाख, 2007-08 में 92.47 लाख तथा 2008-09 में 79.80 लाख रुपए का प्रस्ताव स्थानीय निकाय निदेशालय जयपुर को लगातार भेजा लेकिन अभी तक फूटी कौड़ी भी मिली। पालिका को योजना शुरू होने के बाद 2005-06 में जरूर 27 लाख रुपए मिले। इस राशि का अधिकांश हिस्सा नगरपालिका ने अन्य मदों पर खर्च कर दिया।इन कामों का इंतजारयोजना के तहत बकाया कामों की फेहरिस्त लम्बी है। बजट के अभाव में गौरव पथ व थैलासर-रतननगर सीमा पर हैरिटेज दरवाजे, शहर पन्ना परकोटे की मरम्मत, स्ट्रीट लाइट, औंकारगिरि आश्रम के पास व देपालसर तिराहे पर सर्किल, अम्बेडकर सर्किल से औंकारगिरि आश्रम तक सौन्दर्यीकरण, लक्ष्मीनारायण मंदिर की मरम्मत होनी है।
इसलिए है खास
विरासत संरक्षण योजना में चूरू के साथ शामिल रतननगर कस्बा कलात्मक हवेलियों और उनके भित्ति चित्रों के कारण खास है। यहां पर पर्यटक प्रयागनाथ व औंकारनाथ गिरि आश्रम, ऐतिहासिक गाड़ोदिया छतरी, द्वारकाधीश व रघुनाथ मंदिर, शहर पन्ना परकोटा व हवेलियों को निहारते हैं।
----बजट आवंटित नहीं होने के कारण विरासत संरक्षण योजना से कस्बा लाभान्वित नहीं हो पा रहा है। बजट मिलते ही बकाया कामों को प्राथमिकता से करवाया जाएगा।
- सत्यनारायण सैनी, अध्यक्ष, नगरपालिका, रतननगर
प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी
प्रतिक्रियाएँ:
लेबल: संरक्षण की दरकार-2
चूरू, 13 अप्रेल। संरक्षण के अभाव में थळी की विरासत धोरों में दफन होने के कगार पर है। जिला मुख्यालय से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित रतननगर कस्बे के ऐतिहासिक स्थल वैभव खो चुके हैं।विरासत संरक्षण योजना का बजट 'ऊंट के मुंह में जीरा' होने के कारण यहां के ऐतिहासिक स्थल बदहाल हैं। संरक्षण योजना के लिए रतननगर नगरपालिका ने 2006-07 में 95.84 लाख, 2007-08 में 92.47 लाख तथा 2008-09 में 79.80 लाख रुपए का प्रस्ताव स्थानीय निकाय निदेशालय जयपुर को लगातार भेजा लेकिन अभी तक फूटी कौड़ी भी मिली। पालिका को योजना शुरू होने के बाद 2005-06 में जरूर 27 लाख रुपए मिले। इस राशि का अधिकांश हिस्सा नगरपालिका ने अन्य मदों पर खर्च कर दिया।इन कामों का इंतजारयोजना के तहत बकाया कामों की फेहरिस्त लम्बी है। बजट के अभाव में गौरव पथ व थैलासर-रतननगर सीमा पर हैरिटेज दरवाजे, शहर पन्ना परकोटे की मरम्मत, स्ट्रीट लाइट, औंकारगिरि आश्रम के पास व देपालसर तिराहे पर सर्किल, अम्बेडकर सर्किल से औंकारगिरि आश्रम तक सौन्दर्यीकरण, लक्ष्मीनारायण मंदिर की मरम्मत होनी है।
इसलिए है खास
विरासत संरक्षण योजना में चूरू के साथ शामिल रतननगर कस्बा कलात्मक हवेलियों और उनके भित्ति चित्रों के कारण खास है। यहां पर पर्यटक प्रयागनाथ व औंकारनाथ गिरि आश्रम, ऐतिहासिक गाड़ोदिया छतरी, द्वारकाधीश व रघुनाथ मंदिर, शहर पन्ना परकोटा व हवेलियों को निहारते हैं।
----बजट आवंटित नहीं होने के कारण विरासत संरक्षण योजना से कस्बा लाभान्वित नहीं हो पा रहा है। बजट मिलते ही बकाया कामों को प्राथमिकता से करवाया जाएगा।
- सत्यनारायण सैनी, अध्यक्ष, नगरपालिका, रतननगर
प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी
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लेबल: संरक्षण की दरकार-2
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