प्रभारी सचिव भाणावत ने अधिकारियों को सुनाई खरी-खरी
चूरू, 27 अक्टूबर। आपको विद्युत सुविधा से वंचितों की संख्या ही मालूम नहीं तो लक्ष्य कैसे हासिल करोगे...क्या कहा चारे की कमी नहीं है... प्रशासन ने तो 18 स्थानों पर चारा डिपो खोले हैं...आप निरीक्षण तो खूब करते हो मगर उनका परिणाम तो कुछ भी नहीं निकला...श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान हुआ ही नहीं और आपने मजदूरी का औसत आंकड़ा भी निकाल लिया...सीएमएचओ आप सो रहे हो...रात को कहां गए थे...स्वास्थ्य का ध्यान रखों, आपके कंधों पर पूरे जिले के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है...।
सीधे-सीधे सवालों के ऐसे जवाब मंगलवार को कलक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों की बैठक में सामने आए। दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार को चूरू आए प्रभारी सचिव राजेन्द्र भाणावत ने अधिकारियों की जमकर क्लास ली। कुछेक को छोड़ कोई भी अधिकारी प्रभारी सचिव के सीधे-सीधे सवालों का ढंग से जवाब नहीं दे पाया। आलम यह था कि अधिकारी, प्रभारी सचिव के हर दूसरे सवाल में उलझते गए।
प्रभारी सचिव भाणावत ने जोधपुर विद्युत वितरण निगम के अधीक्षण अभियंता एनएन चौहान से विद्युत सुविधा से जुडऩे लायक ढाणियों की संख्या के बारे में पूछा मगर उन्हें पता ही नहीं था। पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि जिले में चारे की कमी नहीं खल रही है। इस पर प्रभारी सचिव ने कहा कि आपको पता नहीं है तो यह नहीं बोले कि सब कुछ ठीक है। क्योंकि अधिकारी की जानकारी और ग्रामीण स्तर की समस्या की वास्तविक स्थिति में अंतर रहेगा तो असंतोष बढ़ेगा।
प्रभारी सचिव ने डीएसओ हरलाल सिंह से कहा कि विभिन्न योजनाओं के तहत राशन सामग्री जरूरतमंदों तक पहुंची या नहीं.. इसका कैसे पता लगाते हो। डीएसओ इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। सीएमएचओ वीके जिंदल की सबसे अधिक खिंचाई की गई।
जिंदल प्रभारी सचिव के कई सवालों के जवाब में न केवल उलझ गए बल्कि गलत जानकारी देने से भी नहीं चुके। एक सवाल के जवाब में सीएमएचओ ने कम्पाउण्डर मरीज को चिकित्सकीय परामर्श देने का अधिकार रखने की बात कही तो प्रभारी सचिव ने खासी नाराजगी जताई। प्रभारी सचिव ने सबसे अधिक लम्बे समय तक नरेगा पर चर्चा की।
नरेगा के जेईएन अनिल माथुर से उन्होंने न्यूनतम मजदूरी, स्वीकृत व अधूरे पड़े कार्यों समेत कई सवाल किए। 15 अक्टूबर तक के पखवाड़े में न्यूनतम मजदूरी औसत 8 3 रुपए का जवाब सुन प्रभारी सचिव ने कहा कार्य का नाप-जोख हुआ ही नहीं और आपने औसत मजदूरी कैसे निकाल ली। बैठक में जिला कलक्टर डा. केके पाठक, एडीएम बीएल मेहरड़ा, एएसपी अनिल क्याल समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
हर एक को दिए निर्देश
~अधिक से अधिक राशन टिकटों का हो वितरण।
~नरेगा में टांके निर्माण के साथ अन्य योजनाओं से पौधे दो।
~नरेगा श्रमिकों को 15 दिन में हो मजदूरी का भुगतान।
~जेईएन व मेट की नाप-जोख में अंतर होने पर हो सख्त कार्रवाई।
~जिले में पचास फीसदी मेट महिलाएं हो।
~विद्यार्थियों की फर्जी संख्या दिखाने वाले स्कूल हो बंद।
~निजी अस्पताल व जांच केन्द्रों के आंकड़ें भी एकत्रित किए जाए।
~नरेगा में जहां कुछ काम अधूरे हैं वहां नए कार्य न हो स्वीकृत।
~सरपंचों को सामग्री राशि स्वीकृत करने में विशेष सावधानी बरतें।
आंकड़ों में नरेगा की तस्वीर
~नरेगा में 28 हजार 74 श्रमिक कार्यरत हैं।
~नरेगा के आठ हजार कामों में से एक हजार 6 7 पूरे हुए ।
~श्रमिकों को रोजाना की मजूदरी औसत 83 रुपए मिलती है।
~70 रुपए से कम रोजाना किसी भी श्रमिक को नहीं मिलते।
~रोजाना के 70-80 रुपए पाने वाले 187 श्रमिक हैं।
~870 श्रमिक रोजाना 80-90 रुपए मजदूरी पाते हैं।
~केवल दस श्रमिकों को रोजाना 90-100 रुपए मिलते हैं।
~जिले में महिला मेट केवल दस फीसदी हैं।
प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी
चूरू, 27 अक्टूबर। आपको विद्युत सुविधा से वंचितों की संख्या ही मालूम नहीं तो लक्ष्य कैसे हासिल करोगे...क्या कहा चारे की कमी नहीं है... प्रशासन ने तो 18 स्थानों पर चारा डिपो खोले हैं...आप निरीक्षण तो खूब करते हो मगर उनका परिणाम तो कुछ भी नहीं निकला...श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान हुआ ही नहीं और आपने मजदूरी का औसत आंकड़ा भी निकाल लिया...सीएमएचओ आप सो रहे हो...रात को कहां गए थे...स्वास्थ्य का ध्यान रखों, आपके कंधों पर पूरे जिले के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है...।
सीधे-सीधे सवालों के ऐसे जवाब मंगलवार को कलक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों की बैठक में सामने आए। दो दिवसीय दौरे पर मंगलवार को चूरू आए प्रभारी सचिव राजेन्द्र भाणावत ने अधिकारियों की जमकर क्लास ली। कुछेक को छोड़ कोई भी अधिकारी प्रभारी सचिव के सीधे-सीधे सवालों का ढंग से जवाब नहीं दे पाया। आलम यह था कि अधिकारी, प्रभारी सचिव के हर दूसरे सवाल में उलझते गए।
प्रभारी सचिव भाणावत ने जोधपुर विद्युत वितरण निगम के अधीक्षण अभियंता एनएन चौहान से विद्युत सुविधा से जुडऩे लायक ढाणियों की संख्या के बारे में पूछा मगर उन्हें पता ही नहीं था। पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि जिले में चारे की कमी नहीं खल रही है। इस पर प्रभारी सचिव ने कहा कि आपको पता नहीं है तो यह नहीं बोले कि सब कुछ ठीक है। क्योंकि अधिकारी की जानकारी और ग्रामीण स्तर की समस्या की वास्तविक स्थिति में अंतर रहेगा तो असंतोष बढ़ेगा।
प्रभारी सचिव ने डीएसओ हरलाल सिंह से कहा कि विभिन्न योजनाओं के तहत राशन सामग्री जरूरतमंदों तक पहुंची या नहीं.. इसका कैसे पता लगाते हो। डीएसओ इस सवाल का कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। सीएमएचओ वीके जिंदल की सबसे अधिक खिंचाई की गई।
जिंदल प्रभारी सचिव के कई सवालों के जवाब में न केवल उलझ गए बल्कि गलत जानकारी देने से भी नहीं चुके। एक सवाल के जवाब में सीएमएचओ ने कम्पाउण्डर मरीज को चिकित्सकीय परामर्श देने का अधिकार रखने की बात कही तो प्रभारी सचिव ने खासी नाराजगी जताई। प्रभारी सचिव ने सबसे अधिक लम्बे समय तक नरेगा पर चर्चा की।
नरेगा के जेईएन अनिल माथुर से उन्होंने न्यूनतम मजदूरी, स्वीकृत व अधूरे पड़े कार्यों समेत कई सवाल किए। 15 अक्टूबर तक के पखवाड़े में न्यूनतम मजदूरी औसत 8 3 रुपए का जवाब सुन प्रभारी सचिव ने कहा कार्य का नाप-जोख हुआ ही नहीं और आपने औसत मजदूरी कैसे निकाल ली। बैठक में जिला कलक्टर डा. केके पाठक, एडीएम बीएल मेहरड़ा, एएसपी अनिल क्याल समेत विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
हर एक को दिए निर्देश
~अधिक से अधिक राशन टिकटों का हो वितरण।
~नरेगा में टांके निर्माण के साथ अन्य योजनाओं से पौधे दो।
~नरेगा श्रमिकों को 15 दिन में हो मजदूरी का भुगतान।
~जेईएन व मेट की नाप-जोख में अंतर होने पर हो सख्त कार्रवाई।
~जिले में पचास फीसदी मेट महिलाएं हो।
~विद्यार्थियों की फर्जी संख्या दिखाने वाले स्कूल हो बंद।
~निजी अस्पताल व जांच केन्द्रों के आंकड़ें भी एकत्रित किए जाए।
~नरेगा में जहां कुछ काम अधूरे हैं वहां नए कार्य न हो स्वीकृत।
~सरपंचों को सामग्री राशि स्वीकृत करने में विशेष सावधानी बरतें।
आंकड़ों में नरेगा की तस्वीर
~नरेगा में 28 हजार 74 श्रमिक कार्यरत हैं।
~नरेगा के आठ हजार कामों में से एक हजार 6 7 पूरे हुए ।
~श्रमिकों को रोजाना की मजूदरी औसत 83 रुपए मिलती है।
~70 रुपए से कम रोजाना किसी भी श्रमिक को नहीं मिलते।
~रोजाना के 70-80 रुपए पाने वाले 187 श्रमिक हैं।
~870 श्रमिक रोजाना 80-90 रुपए मजदूरी पाते हैं।
~केवल दस श्रमिकों को रोजाना 90-100 रुपए मिलते हैं।
~जिले में महिला मेट केवल दस फीसदी हैं।
प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी
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