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चूरू, 10 अक्टूबर। गंदे पानी से उफनतीं नालियां व गंदगी से अटीं तंग गलियां दीपावली पर भी चकाचक नहीं हो पाएंगी और आग जनित हादसों पर तत्काल काबू पाने की सोचना तो बेमानी होगी। दरअसल नगरपरिषद प्रशासन दीपोत्सव को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं है। गली-मोहल्लों से साफ-सफाई और अग्निशमन की व्यवस्थाएं दीपावली को लेकर अब तक चाक-चौबंद नहीं की गई हैं। शनिवार को पत्रिका ने दोनों व्यवस्थाओं की पड़ताल की तो लगा कि दीपोत्सव पर नगर की स्वच्छता और सुन्दरता के प्रति नगरपरिषद अपने दायित्व और कत्र्तव्य बोध को पूरी तरह भुला चुकी है।सफाई व्यवस्था का तो आलम यह है कि वर्तमान में नई व पुरानी सड़क से लगते छह वार्डों से कचरा रोजाना उठाया जा रहा है जबकि शेष वार्डों में सफाई का नम्बर आठ दिन में एक बार आता है। ऐसे में दीपोत्सव पर नगरपरिषद के भरोसे शहर का सौन्दर्य शायद ही बढ़े। उधर, दीपावली पर आग जनित हादसे बढऩे की आशंका अधिक रहती है। लेकिन आग पर तत्काल काबू पाने के लिए अग्निशमन केन्द्र के पास लम्बी रेस के घोड़े ही नहीं हैं। दमकलकर्मियों के पास पर्याप्त संसाधन होना तो दूर की बात है। फिलहाल परिषद के पास तीन दमकल हैं। इनमें से पन्द्रह साल पुरानी एक दमकल तो लगभग कण्डम हो चुकी हैं। फिर भी उसे दौड़ाया जा रहा है। नगरपरिषद प्रशासन ने दीपावली को लेकर साफ-सफाई और अग्निशमन सेवा से जुड़े कार्मिकों को ना तो विशेष निर्देश दिए हैं और ना ही कोई अतिरिक्त व्यवस्थाएं की हैं।
चूरू, 10 अक्टूबर। गंदे पानी से उफनतीं नालियां व गंदगी से अटीं तंग गलियां दीपावली पर भी चकाचक नहीं हो पाएंगी और आग जनित हादसों पर तत्काल काबू पाने की सोचना तो बेमानी होगी। दरअसल नगरपरिषद प्रशासन दीपोत्सव को लेकर तनिक भी गंभीर नहीं है। गली-मोहल्लों से साफ-सफाई और अग्निशमन की व्यवस्थाएं दीपावली को लेकर अब तक चाक-चौबंद नहीं की गई हैं। शनिवार को पत्रिका ने दोनों व्यवस्थाओं की पड़ताल की तो लगा कि दीपोत्सव पर नगर की स्वच्छता और सुन्दरता के प्रति नगरपरिषद अपने दायित्व और कत्र्तव्य बोध को पूरी तरह भुला चुकी है।सफाई व्यवस्था का तो आलम यह है कि वर्तमान में नई व पुरानी सड़क से लगते छह वार्डों से कचरा रोजाना उठाया जा रहा है जबकि शेष वार्डों में सफाई का नम्बर आठ दिन में एक बार आता है। ऐसे में दीपोत्सव पर नगरपरिषद के भरोसे शहर का सौन्दर्य शायद ही बढ़े। उधर, दीपावली पर आग जनित हादसे बढऩे की आशंका अधिक रहती है। लेकिन आग पर तत्काल काबू पाने के लिए अग्निशमन केन्द्र के पास लम्बी रेस के घोड़े ही नहीं हैं। दमकलकर्मियों के पास पर्याप्त संसाधन होना तो दूर की बात है। फिलहाल परिषद के पास तीन दमकल हैं। इनमें से पन्द्रह साल पुरानी एक दमकल तो लगभग कण्डम हो चुकी हैं। फिर भी उसे दौड़ाया जा रहा है। नगरपरिषद प्रशासन ने दीपावली को लेकर साफ-सफाई और अग्निशमन सेवा से जुड़े कार्मिकों को ना तो विशेष निर्देश दिए हैं और ना ही कोई अतिरिक्त व्यवस्थाएं की हैं।
101 नम्बर मिलेगा व्यस्त
अग्निशमन केन्द्र के टेलीफोन की स्थिति यह है कि वह दिनभर व्यस्त रहता है। केन्द्र पर तैनात कर्मचारियों की मानें तो उस पर चौबीस घंटों में पांच सौ से अधिक बार फोन आते हैं। जो सभी फाल्स होते हैं। ऐसे में दिवाली पर आवश्यकता पडऩे पर भी फोन स्वाभाविक रूप से व्यस्त मिलेगा। बार-बार अवगत करवाए जाने के बावजूद दीपोत्सव जैसे मौके पर भी नगरपरिषद प्रशासन ने इसका कोई हल नहीं निकाला है और ना ही कोई अन्य टेलीफोन की व्यवस्था की है।
सफाईकर्मी गिनती के
दीपावली पर सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी 138 कर्मचारियों के कंधों पर है। जोरदार बात तो यह है कि टै्रक्टर, लोडर, पम्प चालक और जमादार भी इन्हीं में से हैं। शहर में सफाईकर्मियों की संख्या गिनती की रह गई है। मोटे अनुमान के तौर पर शहर को छह सौ से अधिक सफाईकर्मियों की दरकार है। लेकिन उनकी संख्या बढ़ाने के लिए परिषद के पास बजट ही नहीं है। तंग गलियों से कचरा उठाने में सहायक 907 (छोटा ट्रक) का तो परिषद को चालक ही नहीं मिल रहा है।
कैसे हो चाक-चौबंद?
अग्निशमन अधिकारीलिपिक बने हुए हैं स्थायी फायरमैन।
अग्निरोधक संसाधनों काएईएन व जेईएन कीबीस बड़े वाहन व चालीस छोटे वाहनों कीपरिषद प्रशासन नहीं है गंभीर।शहरवासियों में जागरूकता का अभाव।
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दीपावली पर साफ-सफाई और दमकल सेवा में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। परिषद के अधिकारियों को सर्तक रहने के निर्देश दिए हैं। वैसे भी परिषद खुद कई समस्याओं से जूझ रही है।उम्मेद सिंह, उपखण्ड अधिकारी, चूरूआबादी के लिहाज से सफाईकर्मी काफी कम है। मुख्य सड़क से लगते वार्डों में ही सफाई व्यवस्था नियमित है। शेष वार्डों में आठवें दिन कचरा उठ पा रहा है। दीपावली पर सफाई की चाहकर भी विशेष व्यवस्था नहीं कर पाएंगे।
-संतलाल स्वामी, सफाई निरीक्षक
दीपावली पर विशेष सफाई व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में सफाई व्यवस्था संतोषजनक है। अग्निशमन केन्द्र के नम्बरों का चार्ज वसूला जाए तो समस्या का स्थायी समाधान हो सकता है।
-रमाकांत ओझा, सभापति, नगरपरिषद, चूरू
प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी
प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी
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