Saturday, April 25, 2009

बॉर्डर नाकों पर खुफिया नजर

24 स्थानों पर बनेंगे चैक पोस्टसीसी कैमरों से होगी निगरानी

चूरू, 25 अप्रेल। लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा से सटी अन्तरराज्यीय सीमा पर खुफिया कैमरे नजर रखेंगे। कैमरे सादुलपुर उपखण्ड से सटी हरियाणा सीमा पर स्थित 24 चैकपोस्टों पर लगाए जाएंगे। इनमें से 14 चैकपोस्ट राजस्थान में होंगी। बॉर्डर पर स्थापित चैक पोस्टों पर एक-एक क्लोज सर्किट (सीसी) कैमरा लगाया जाएगा। जिला प्रशासन सीसी कैमरे जुटाने के साथ ही उन स्थानों की पहचान में लगा हुआ है जहां चैकपोस्ट बनाए जाएंगे। अधिकारिक जानकारी के अनुसार हरियाणा से लगती सीमा से जिले में घुसने के अनेक रास्ते हैं जिनमें से उन रास्तों पर चैकपोस्ट लगाई जाएगी जिन्हें तस्कर और अंतराज्यीय अपराधी अक्सर इस्तेमाल करते रहे हैं। वाहनों के नम्बर होंगे नोट खुफिया कैमरा चैक पोस्ट के ऐसे स्थान पर लगाया जाएगा जहां से जिले की सीमा में घुसने वाले वाहनों के नम्बर तक आसानी से कैमरे की आंख में कैद हो सकें। इससे चैक पोस्ट नाका तोड़कर भागने वाले वाहनों की पहचान कर चालक के खिलाफ कार्रवाई की जा सकेगी।

वाहन आने पर कैमरा होगा ऑन

धिकारिक जानकारी के अनुसार चैक पोस्ट पर लगे सीसी कैमरे को वाहन आने पर ही ऑन किया जाएगा। चैकपोस्ट पर पुलिस कर्मियों के अलावा कैमरा संचालन के लिए तीन पारियों में कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।

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14 चैक पोस्टों पर सीसी कैमरों की मदद ली जाएगी। कैमरों की तैनाती के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। इससे सीमा पर निगरानी रखने में खासी आसानी हो जाएगी।- डा. केके पाठक,जिला निर्वाचन अधिकारी, चूरू

Monday, April 20, 2009

जी हूजूर! मिलेंगे थार में भी खजूर

अरब देशों से मंगवाए पौधे, काश्तकारों को अनुदान पर मिलेंगे

चूरू, 20 अप्रैल। प्रदेश के पश्चिमी इलाके की पहचान अब रेत के समंदर के साथ-साथ खजूर की खेती से भी होगी। काश्तकारों को इसी साल अगस्त-सितम्बर में खजूर के पौधे मिलने शुरू हो जाएंगे। आय व रोजगार बढ़ाने के उदे्श्य से शुरू की गई राज्य सरकार की अनूठी योजना के तहत यह सब होगा। योजना में जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, गंगानगर व हनुमानगढ़ को शामिल किया गया है। चूरू जिले को भी योजना में शामिल कर लिया गया है।

अधिकारिक जानकारी के अनुसार खजूर की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए दुनियां में विख्यात संयुक्त अरब अमीरात एवं सऊदी अरब से खजूर के 68 हजार 200 पौधे मंगवाए जा चुके हैं। जोधपुर की चोपासनी नर्सरी में पौधों को रखवाया गया है। अरब देशों में टिश्यू कल्चर से लैब में इन पौधों को तैयार किया जाता है। कृषि विभाग ने योजना के तहत पश्चिमी क्षेत्र में करीब साढ़े चार सौ हैक्टेयर में खजूर की खेती किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

निजी कम्पनी करेगी मदद

खजूर की खेती के लिए खेत तैयार करने, पौधे रोपने, खाद व उर्वरकों का उपयोग, सिंचाई, पौध संरक्षण, मौसम से पौधों का बचाव करने में गुजरात के बलसाड़ की एक निजी कम्पनी काश्तकारों की मदद करेगी। अधिकारिक जानकारी के अनुसार करीब तीन साल बाद खजूर की पैदावार शुरू होगी। इस अवधि में पौधा खराब होने पर कम्पनी की ओर से किसान को बदले में दूसरा पौधा उपलब्ध करवाया जाएगा।

इसलिए चुना पश्चिमी क्षेत्र

खजूर की खेती के लिए शुष्क एवं अद्र्ध शुष्क क्षेत्र, लम्बे समय तक गर्मी, कम बारिश एवं बहुत कम आर्द्रता वाला क्षेत्र उपयुक्त है। खजूर के पेड़ पर जुलाई-अगस्त में फल पकते हैं। इस दौरान अधिक बारिश एवं नमी युक्त वातावरण होने से पके फल सड़ जाते हैं। खजूर का पौधा गर्मियों में अधिकतम 50 डिग्री सैल्सियश एवं सर्दियों में शून्य से पांच डिग्री सैल्सियश नीचे तक का तापमान कुछ हद तक सह लेता है। खजूर के फल आने के समय 24 से 40 डिग्री सैल्सियश तापमान उपयुक्त माना जाता है। तमाम विशेषताओं के चलते खजूर की खेती के लिए प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र का चयन किया गया है। चूरू जिला भी इस लिहाज से खजूर की खेती के लिए अनुकूल है।

नब्बे फीसदी अनुदान

काश्तकारों को आठ गुना आठ मीटर की दूरी पर प्रति हैक्टेयर में कम से कम 156 पौधे लगाने होंगे। पौधे की कीमत 2 हजार 500 से 3 हजार 500 रुपए आएगी। काश्तकारों को 'पहले आओ पहले पाओ' की नीति के तहत 90 प्रतिशत अनुदान पर पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे।------पौधे मंगवाए जा चुके हैं। अगस्त-सितम्बर में वितरित किए जाएंगे। खजूर के फल बेचने के लिए काश्तकारों को स्थानीय स्तर पर बाजार आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। इसके लिए विभाग की ओर से भी प्रयास किए जाएंगे।

-दयालसिंह, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग,जोधपुर

इस संबंध में 15 अप्रेल 09 को जयपुर में सेमीनार हुई थी। जिले में खजूर की खेती की अपार संभावना है। क्षेत्र के किसानों को भी पौधे उपलब्ध करवाए जाएंगे।

-भंवरसिंह राठौड़, उपनिदेशक, कृषि (विस्तार), चूरू
प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी
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1 टिप्पणियाँ:

Anil said...
ये काम पहले नहीं कर सकते थे क्या? बारिश न होने की स्थिति में मरुस्थल में खजूर उगाकर लोगों को रोजी-रोटी दी जा सकती है। खबर के लिये भंवरसिंह जी और आपका धन्यवाद!
April 21, 2009 1:14 PM