Saturday, May 29, 2010

'गजलर' बुझाएंगे प्यास

पांच स्थानों का चयन, सालभर मिल सकेगा पानी
विश्वनाथ सैनी @ चूरू।
वन्यजीवों को भीषण गर्मी में प्यास बुझाने के लिए अब जंगल में ज्यादा नहीं भटकना पड़ेगा। वन विभाग ने वन्यजीवों के पानी के लिए होने वाले पलायन को रोकने तथा वन सम्पदा को संरक्षित और संवद्धित बनाने के लिए महती योजना बनाई है।
जयपुर के डेली न्यूज़ में छपी खबर

इसके तहत वन क्षेत्रों में पानी के ऐसे कुण्ड विकसित किए जाएंगे जहां बरसात का पानी एकत्र कर वन्य जीवों को सालभर पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। विशेष तौर पर बनने वाले कुण्डों को गजलर कहा जाएगा।
शुरुआती चरण में तालछापर कृष्णमृग अभयारण्य समेत वन क्षेत्र में पांच स्थानों का गजलर के लिए चयन किया गया है। योजना सफल रही तो इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी। समस्त गजलर राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के माध्यम से विभाग की ईको रिस्टोरेशन योजना के तहत बनेंगे। विभाग ने गजलर के प्रस्ताव हाल ही मुख्यालय को भिजवाए

हैं।

चालू वित्तीय वर्ष में इनका निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है।
वन क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए वर्तमान में बने जलस्रोतों की तुलना में गजलर में 35 से 40 हजार लीटर से अधिक पानी संग्रहित किया जा सकेगा। बारिश के पानी से एक बार गजलर भर जाने पर सालभर तक पानी की कमी नहीं रहेगी। बारिश नहीं हुई तो टैंकर के जरिए गजलर को भरा जा सकेगा।

बूंद-बूंद आ सकेगी काम
गजलर का डिजाइन इस तरह तैयार किया गया है, जिससे बारिश के पानी की बूंद-बूंद वन्यजीवों के काम आ सकेगी। बारिश का पानी सबसे पहले चालीस हजार लीटर क्षमता के एक कुण्ड में जमा होगा। कुण्ड ऊपर से बंद होगा, लेकिन उसके पास बनने वाले विशेष घाट में कुण्ड का पानी पहुंचेगा, घाट पर पानी की उपलब्धता कुण्ड में भरे पानी के दबाव के अनुपात में कम-ज्यादा होती रहेगी। इससे पानी की छीजत नहीं होगी।जहां वन्यजीव हलक तर कर सकेंगे।

चयन का रखा खास आधार
वन विभाग ने गजलर निर्माण के चयन का खास आधार रखा है। गजलर उन स्थानों पर बनाया जाएगा जहां वर्तमान में वन सम्पदा की स्थिति खराब है। पेड़-पौध, झाड़, खरपतवार, घास आदि विकसित नहीं हो पा रही है। साथ ही वहां पानी के अभाव में वन्यजीवों को विचरण नहीं हो पाता है। गजलर के निर्माण से वन्यजीव पानी पीने तो वहां पहुंचेंगे ही साथ ही पानी होने पर आस-पास के क्षेत्र में बीजारोपण के माध्यम से पौध, घास आदि विकसित कर क्षेत्र को हराभरा किया जा सकेगा।

कटाई व चराई पर प्रतिबंध
नए सिरे से विकसित किए गए क्षेत्र में पौधों व पेड़ों की कटाई व चराई पर प्रतिबन्ध रहेगा। इनक्षेत्रों को तारबंदी कर सुरक्षित किया जाएगा। ग्रामीण इलाकों से लगते क्षेत्र में पक्की दीवार का निर्माण कराया जाएगा।

चयनित वन क्षेत्र
-लीलकी बीड़
-सांखू बीड़
-तालछापर कृष्णमृग अभयारण्य
-तारानगर बीड़
-ढाणी लालसिंह पुरा बीड़

जिले में वन्यजीव
काले हरिण -2025
चिंकारा -2705
नीलगाय -1036
जंगली बिल्ली -129
मरु लोमड़ी -124
गिद्ध -48
चील/बाज -141
साण्डा -4109

इनका कहना है...
महानरेगा के माध्यम से ईको रिस्टोरेशन योजना के तहत गजलर निर्माण के प्रस्ताव मुख्यालय को भेजे हैं। प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य शुरू करवा देंगे। जिले में गजलरों की शुरुआत पांच स्थानों से होगी।
-केसी शर्मा, डीएफओ, चूरू

Wednesday, May 26, 2010

पढ़बा सूं रैग्या टाबर

सर्वे में हुआ खुलासा, सर्वाधिक सरदारशहर में
नए शिक्षा सत्र से जोडऩे के होंगे खास प्रयास

विश्वनाथ सैनी @ चूरू
जिले में करीब सात हजार बच्चे शिक्षा से महरूम हैं। इनमें अधिकांश ने तो स्कूल की दहलीज पर कभी कदम ही नहीं रखा जबकि शेष ने बीच में पढ़ाई छोडऩे के बाद फिर कभी स्कूल की सुध नहीं ली। सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से हाल ही करवाए गए चाइल्ड ट्रेकिंग सर्वे में यह आंकड़ा सामने आया है।
सर्वे के दौरान बच्चे पढऩे-लिखने की उम्र में घरेलू कामों में जुटे अथवा गली-मोहल्लों में मटरगस्ती करते मिले। परिवार की माली हालत खराब होने के कारण कई बच्चे कहीं ना कहीं मजदूरी करते भी पाए गए। सर्वे में इन बच्चों को अनामांकित व ड्रापआउट के रूप में चिह्नित किया गया है। अब नए शिक्षा सत्र में इन बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडऩे के विशेष प्रयास किए जाएंगे।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार जिलेभर में कुल 6 हजार 956 बच्चे शिक्षा से वंचित हैं। छह से चौदह साल तक के इन बच्चों में से अधिकांश कभी स्कूल नहीं गए। शेष ने स्कूल में कभी ना कभी दाखिला तो लिया लेकिन आठवीं कक्षा से पूर्व ही पढ़ाई छोड़ दी।
शिक्षकों ने विद्यालय रिकॉर्ड तथा घर-घर जाकर बच्चों का सर्वे किया है। पढ़ाई से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रखने वाले सबसे अधिक 1 हजार 795 बच्चे सरदारशहर ब्लॉक तथा सबसे कम 276 बच्चे सादुलपुर ब्लॉक में सामने आए हैं।

नए सत्र मे पढ़ाएंगे
सर्वे में चिह्नित किए गए बच्चों का जुलाई से शुरू हो रहे प्रवेशोत्सव के दौरान स्कूलों में दाखिला करवाने का प्रयास किया जाएगा। अभिभावकों को बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित भी करेंगे। इसके अलावा आवासीय ब्रिज कोर्स, गैर आवासीय ब्रिज कोर्स, शिक्षा मित्र केन्द्र, कस्तूरबा गांधी विद्यालय आदि में भी बच्चों के लिए पढऩे-लिखने की वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।

कहां कितने वंचित
ब्लॉक बच्चे
तारानगर- 1025
सरदारशहर- 1795
राजगढ़- 276
चूरू- 670
रतनगढ़- 1680
सुजानगढ़- 1510
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16 से 21 मई तक हुए सर्वे के दौरान जिले में करीब सात हजार बच्चे अनामांकित व ड्रापआउट हैं। सर्वे की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी है। नए शिक्षा सत्र में इन बच्चों को पढ़ाया जाएगा।
-मोहन लाल त्रिवेदी, प्रभारी अधिकारी, वैकल्पिक शिक्षा (एसएसए) चूरू

Tuesday, May 25, 2010

तपिश से बुझेगी धोरों की प्यास

इस बार अच्छी बारिश के आसार
मानसून एक जुलाई तक आने की उम्मीद

कार्यालय संवाददाता @ चूरू. थळी में पड़ रही भीषण गर्मी भले ही लोगों के पसीने छुड़ा रही हो, लेकिन यह अच्छी बारिश का संकेत भी है। सब कुछ ठीक रहा तो इस बार थळी के धोरों की प्यास पूरी तरह बुझ सकेगी। थळी की भौगोलिक एवं पारस्थितिकी स्थितियां इस तरह की हैं कि यहां जितनी तेज गर्मी पड़ती है उतनी ही अधिक बारिश की संभावना बनती है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इस बार गत वर्षों की तुलना में इन्द्रदेव अधिक मेहरबान होने के आसार बन रहे हैं।
चूरू में इस सत्र का सर्वाधिक तापमान 48 .4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जा चुका है। इसके अलावा सर्दियों में इस बार गत वर्ष की तुलना में अधिक बर्फबारी हुई थी। फिलहाल अधिकतम तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है।
साथ ही आंधियों के चलने का क्रम भी जारी है। ऐसे में प्रदेश के पश्चिमी इलाके में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता जा रहा है। जो पूर्व की ओर से आने वाले मानसून को तेजी से अपनी ओर खींचेगा। पूर्व से मानसून के दिल्ली व हरियाणा होते हुए 25 जून तक प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में दस्तक देने की उम्मीद है। शेखावाटी में मानसून के 1 जुलाई को पहुंचने का अनुमान है।
तो झूमके बरसेंगे बदरा
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान में जिले की परिस्थितियां अच्छी बारिश के अनुकूूल हैं। जब-जब भी ऐसे ही हालात बने हैं। तब-तब प्रदेशभर के खेतों में बदरा झूमकर बरसे हैं। इसके अलावा अगर जून में ज्यादा बारिश ना हो तो अच्छा है। क्योंकि इससे पश्चिमी इलाकों में निम्न दबाव का क्षेत्र बना रहे ताकि जून के अंतिम सप्ताह में पूरे वेग के साथ मानसून प्रदेश में पहुंच सके।
मिट्टी की करामात
थळी के धोरों की मिट्टी की करामात के कारण जिले को सर्दियों में कड़ाके की ठण्ड और गर्मियों में भीषण गर्मी की सौगात मिली है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जिले की मिट्टी की स्पेसिफिक हीट कैपेसिटी काफी कम है। इस वजह से गर्मियों में मिट्टी जल्दी गर्म और सर्दियों में जल्दी ठण्डी हो जाती है।
बारिश का रास्ता
प्रदेश में बंगाल की खाड़ी से उठने वाला मानसून मेहरबान होता है। खाड़ी से चलकर मानसून हिमालय की वादियों में पहुंचता है। यहां से बर्मा की पहाडिय़ों से टकराने के बाद पूर्व से पश्चिम की ओर रुख करता है। पश्चिम की ओर पहुंचते-पहुंचते मानसून कमजोर पड़ता जाता है। पश्चिमी इलाकों में जितना अधिक निम्न दबाव का क्षेत्र बनेगा। मानसून भी उतनी तेजी के साथ दस्तक देगा।
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इस बार मानसून पूरी तरह मेहरबान होने की संभावना है क्योंकि लगातार आंधियां चल रही है और सर्दियों में बर्फबारी भी ज्यादा हुई है। साथ ही तापमान भी बढ़ रहा है। कुल मिलाकर परिस्थितियां मानसून को बुलाने के अनुकूल है।
- जिलेसिंह राव, प्रभारी अधिकारी, मौसम केन्द्र, चूरू

Wednesday, May 12, 2010

दवा खरीद में नियम हवा

चूरू सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार की दवा की दुकानों पर दवाइयो की आड में भ्रष्टाचार की बेल पनप रही है। जिला प्रशासन की ओर से गठित एक विशेष कमेटी की जांच में यह खुलासा हुआ है। जिले में होलसेल भण्डार की 11 दुकानों के लिए प्रतिवर्ष करोडों रूपए की दवाइयां बिना किसी निविदा प्रक्रिया अपनाएं खरीदी जा रही हैं।
वित्तीय वर्ष 2009-10 में दो करोड 13 लाख 73 हजार रूपए की दवाइयां बिना निविदा के खरीदी गई हैं। इनमें साठ से सत्तर फीसदी दवाइयां ब्रांडेड हैं, जो जेनरिक दवा के मुकाबले दो-तीन गुना अघिक महंगी होती हैं। जबकि होलसेल भण्डार की दुकानों पर अघिक से अघिक जेनरिक दवाइयां ही होनी चाहिए, ताकि रोगियों को सस्ती दर पर दवाइयां उपलब्ध हो सके।
यूं हुआ खुलासा
दस दिन पूर्व जिला कलक्टर डा. केके पाठक ने राजकीय भरतीया अस्पताल स्थित उपभोक्ता होलसेल भण्डार के तीन नम्बर मेडिकल स्टोर का औचक निरीक्षण किया तो वहां जेनरिक के स्थान पर ब्रांडेड दवाइयां बिकती मिली। इस पर पाठक ने उपखण्ड अघिकारी उम्मेद सिंह, माध्यमिक शिक्षा उपनिदेशक कार्यालय के एएओ देवीदत्त पारीक, राजकीय भरतीया अस्पताल के कनिष्ठ लेखाकार रतनलाल सैनी, डा. बीएल नायक तथा कोषाघिकारी अंजू गोयल की एक कमेटी गठित कर मामले की जांच करवाई। फिलहाल कमेटी वर्ष 2009-10 में खरीदी गई दवाओं के नाम, दर, मात्रा समेत अन्य बिन्दुओं की जांच कर रही है।
प्रदेश भर में गडबडझाला
निरीक्षण के बाद होलसेल भण्डार ने कारण बताओ नोटिस के जवाब में माना कि दवा की खरीद में गडबडझाला चूरू ही नहीं बल्कि प्रदेश भर में हो रहा है। दवा खरीदने में कहीं पर भी निविदाएं आमंत्रित नहीं की जाती। प्रदेश में होलसेल भण्डार की दवा की करीब 520 दुकानें हैं। गत वित्तीय वर्ष के दौरान पडोसी जिले सीकर में एक करोड 75 लाख तथा झुंझुनूं में 2 करोड 4 लाख 82 हजार रूपए की दवाइयां इसी तरह से खरीदी गई हैं।
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चिकित्सक ब्रांड बदल-बदल कर दवाइयां लिखते हैं। इसलिए निविदा प्रक्रिया संभव नहीं है। जेनरिक दवाइयों की मांग काफी कम है। प्रशासन के निर्देश पर अब निविदा प्रक्रिया शुरू करने तथा जेनरिक दवाओं की मात्रा बढाने की तैयारी कर रहे हैं।
-रामावतार स्वामी,
अघिशासी अघिकारी (कार्यवाहक),
सहकारी उपभोक्त होलसेल भण्डार, चूरू
भण्डार की दुकानों पर बडे पैमाने पर अनियमितताएं हैं। यह सब मिलीभगत से हो रहा है। प्रारम्भिक जांच में गत वित्तीय वर्ष के दौरान दो करोड से अघिक की दवा बिना निविदा के खरीदने की जानकारी मिली है। कमेटी से मामले की विस्तृत जांच करवा रहे हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे। -डा. केके पाठक, जिला कलक्टर, चूरू

लीबिया में कामगारों पर संकट

मजदूरों को ना तो पगार मिली है और ना ही राशन
चूरू, 11 मई।
खाड़ी देश लीबिया में कमाने गए भारतीय मजदूर संकट में हैं। एक निजी कम्पनी ने मजदूरों को बंधक बना रखा है। पांच माह से मजदूरों को ना तो पगार मिली है और ना ही राशन। मजदूर समुद्र का खारा पीने तथा राहगीरों से भीख मांगने को मजबूर हैं।
देशभर के करीब सौ मजदूरों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा रहा है। इनमें चूरू जिले के सोलह मजदूर शामिल हैं। मजदूरों ने सोमवार को अपने परिजनों को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत करवाया है। परिजनों ने मंगलवार को जिला कलक्टर डा. केके पाठक से मुलाकात कर मजदूरों की रिहाई की गुहार लगाई है।
परिजनों की ओर से कलक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में लिखा है कि लीबिया में अल एकलेल कॉन्ट्रेक्ट कम्पनी ने मजदूरों का भुगतान रोककर उन्हें चार दीवारी में बंद कर रखा है। मजदूर सीकर जिले की फतेहपुर तहसील के गांव अठवास निवासी एजेंट सांवरमल झाझडिय़ा के माध्यम से नौ माह पहले लीबिया गए थे।
प्रोजेक्ट पूरा हो गया
जानकारी के अनुसार कम्पनी विला निर्माण के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। करीब दो माह पहले प्रोजेक्ट पूरा हो गया। नया प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाने के कारण मजदूरों को ना तो रोजगार मिल पा रहा है और ना ही बकाया पगार।
आधे से ज्यादा शेखावाटी के
मजदूरों को लीबिया भेजने वाले एजेंट झाझडिय़ा की मानें तो अल एकलेल कॉन्ट्रेक्ट कम्पनी में ऐसी स्थिति का सामना चूरू जिले के सोलह मजदूर ही नहीं बल्कि देशभर के करीब सौ मजदूरों को करना पड़ रहा है। इनमें से पचास-साठ मजदूर अकेले शेखावाटी के हैं। विला निर्माण का प्रोजेक्ट पूरा होने तथा नया प्रोजेक्ट शुरू होने में हो रही देरी के कारण मजदूर परेशान हैं। मजदूर बकाया मजदूरी की मांग को लेकर कम्पनी का राशन लेने से भी इनकार कर रहे हैं।
ये हैं वो मजदूर
सोलह मजदूरों में चूरू तहसील के गांव जुहारपुरा का भींवाराम, भागीरथ मल, धीरासर का राजूराम, रायपुरिया का प्रभूदयाल, तारानगर तहसील के गांव सोमसीसर का मेधाराम, रतनगढ़ तहसील के गांव गोगासर का पूर्णमल, सेहला का बजरंग, चैनपुरा का भजनलाल, नरेश कुमार, रघुनाथपुरा का बृजलाल, खिलेरिया का आसूदास, लोहा का तोलाराम, लधासर का मेंधाराम, नागरमल, सुजानगढ़ तहसील का गणेशाराम यादव, गांव भींवसर का बेगाराम शामिल है।
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लीबिया गए सोलह मजदूरों के परिजनों ने उन्हें रिहा कराने की मांग की है। इस संबंध में प्रमुख सचिव को लिखा गया है। साथ ही पुलिस को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। -डा. केके पाठक, जिला कलक्टर, चूरू

Friday, May 7, 2010

मां तुझमें रब दिखता है...

मां...बस तुम्हारा नाम लेने भर से रूह को सुकून मिल जाता है...तुम्हें दूर से भी देख लूं तो फिर दुनिया में कुछ देखने की हसरत नहीं रहती...तेरी परछाई में भी मैं अपना वजूद ढूंढ लेता हूं...तेरी धुंधली तस्वीर में भी मुझे अपना अक्श साफ नजर आता है...तेरे आंचल की ओट मिल जाए तो जेठ की तपती दुपहरी हो या पौष की सर्द रात बिना उफ किए गुजार दूं...तू रख दे अगर हाथ सिर पर तो फिर जमाने से मुझे कुछ नहीं चाहिए...मैं तो तेरा स्पर्श पाकर ही निहाल हो उठता हूं।

सच में मां तुम ऐसी थीं...ऐसी हों और खुदा के वास्ते ऐसी ही रहना...। बचपन से मुझे लगता आया है कि भले ही तुम्हारे चेहरे पर झुर्रियां 
पड़ जाए...बाल झक सफेद हों जाए...पर तुम्हारा प्यार कभी कम नहीं होगा। मां में कई बार सोचता हूं कि जब मैंने बचपन में तुतलाती जुबान से पहली बार तुम्हें 'मां' कहकर पुकारा तो तू शायद हँसी होगी या फिर मेरी नकल की होगी...यह तो तू ही जानें...पर मैं दावे से कह सकता हूं कि तेरी हँसी में भी सुखद अहसास था...तेरी नकल ने मुझे कुछ और शब्द सीखने को प्रेरित किया होगा।

जब मैंने चलने के लिए पहली बार जमीन पर कदम बढ़ाया तो मेरे नन्हें हाथों ने तेरी अंगुली जरूर थामी होगी...मुझे पल भर के लिए भी गिरने नहीं दिया होगा...या कभी लडख़ड़ाकर गिर भी गया तो तुमने आंसू नहीं आने दिए होंगे...। तुम्हारे हाथों का स्पर्श ही मेरी चोट पर मरहम का काम कर गया होगा...।

मां मैं तुम्हारे लिए तो वहीं नन्हा बच्चा हूं...और रहूंगा, पर दुनिया की नजर में मैं 23 होली, दिवाली और बसंत देख चुका हूं...मुझसे लोगों की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं...पढऩे वाला हर बंदा सोच रहा होगा कि आज एकाएक मुझे तुम्हारी याद कैसे आ गई...तेरे नाम पर मेरी कलम क्यों चल पड़ी...।

बता दूं कि मां मैं तुझे शब्दों में ढालना चाहता हूं...तेरी यादों को फिर से दिल के करीब लाने की चाहत है मेरी...मुझे तेरा प्यार भरा स्पर्श आज भी याद है...तेरे हाथ की रोटी का कसेला स्वाद तो मैं कैसे भूल जाऊं...तेरी डांट-फटकार में भी प्यार छिपा होता था...जिसे भूल जाना मेरे बस की बात नहीं...।

मेरे बचपन में ही पिताजी के गुजरने का गम तो मुझे ताउम्र सालता रहेगा पर तुमने कभी उनकी कमी महसूस नहीं होने दी...मां होते हुए तुमने मुझे पिता का भी प्यार दिया...। आज मैं जहां भी हूं...जिस हाल में भी हूं...सब का श्रेय लेने का हक है...तुम्हें। सच कहूं तो मां तुझमें रब दिखता है...।

Saturday, May 1, 2010

18 सौ अंकतालिका रद्दी की टोकरी में

डाइट स्टाफ की भूल, संस्था प्रधानों की लापरवाही
सैकड़ों परीक्षार्थियों का परिणाम प्रभावित
चूरू, 30 अप्रेल। आठवीं बोर्ड परीक्षा को गंभीरता से नहीं लेने की वजह से इस बार अठारह सौ परीक्षार्थियों की अंकतालिकाएं रद्दी की टोकरी में डाल दी गई हैं। यह सब डाइट कर्मचारियों की मानवीय भूल व संस्था प्रधानों की लापरवाही के चलते हुआ है।
हैरत की बात है कि जहां डाइट परीक्षार्थियों की मूल अंकतालिका में बोनस अंक दर्ज करना ही भूल गया तो संस्था प्रधान सत्रांक तक सही नहीं भेज पाए। हालांकि डाइट ने अब त्रुटियां सुधारकर प्रभावित परीक्षार्थियों को नई अंकतालिकाएं जारी कर दी हैं।
इससे कई परीक्षार्थी फेल से पास तो कई फेल पूरक की श्रेणी में आ गए हैं। जिलेभर के कुल 1 हजार 798 परीक्षार्थियों का परिणाम प्रभावित हुआ है। अंकतालिकाओं की त्रुटियां सुधरवाने से परीक्षार्थियों को नुकसान की बजाय फायदा ही हुआ है, लेकिन परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों को मानसिक रूप से तो परेशान होना ही पड़ा है। इसकी कोईजवाबदेही तय नहीं की गई है।
गौरतलब है कि बोर्ड परीक्षा परिणामों के तनाव के कारण विद्यार्थियों में बढ़ती आत्महत्या करने की प्रवृति पर प्रभावी अंकुश के मद्देनजर केन्द्र और राज्य सरकार बोर्ड परीक्षा प्रक्रिया ही बदलने जा रही है।
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परीक्षार्थी ऐसे हुए प्रभावित
डाइट ने किसी विषय में सत्रांक समेत कुल 35 अंक हासिल करने वाले परीक्षार्थियों को बोनस के रूप में एक अंक दिया था, जो तकनीकी खामी की वजह से अंकतालिका में दर्ज नहीं किया जा सका। इससे 778 परीक्षार्थियों का मूल परीक्षा परिणाम तो 718 का पूरक परीक्षा परिणाम प्रभावित हुआ है। शेष की अंकतालिका में मामूली अंतर आया है।
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मांगे साठ भेज दिए बीस
आठवीं कक्षा के अधिकांश विषयों के सत्रांक बीस में से भेजे जाते हैं जबकि कार्यानुभव, कला शिक्षा व स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा विषय के सत्रांक 6 0 में से भेजने होते हैं। सुजानगढ़ तहसील के गांव धात्री के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय ने अपने समस्त 25 परीक्षार्थियों के तीनों विषयों के सत्रांक 6 0 की बजाय 20 में से भेज दिए। डाइट ने विद्यालय प्रबंधन को गलती की जानकारी दी तो अब फिर से सत्रांक भेजे गए हैं। ऐसे में सभी विद्यार्थियों को नई अंकतालिका जारी करनी पड़ी है।
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1998 में भी हुआ ऐसा
डाइट सूत्रों के अनुसार 1998 में जन्मतिथि गलत दर्ज हो जाने के कारण एक हजार से अधिक अंकतालिकाएं बेकार हो गई थीं। इसके बाद इतनी बड़ी संख्या में अंकतालिकाएं कभी खराब नहीं हुई। विद्यालयों की गलती की वजह से दर्जनों अंकतालिकाएं प्रतिवर्ष रद्दी की टोकरी में फेंकनी पड़ती हैं। इस बार डाइट से भी भूल होने के कारण खराब अंकतालिकाओं का आंकड़ा हजार को पार कर गया।
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इनका कहना है....
करीब 18 सौ अंकतालिकाओं में त्रुटियां रह गई हैं। इससे परीक्षार्थियों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होने दिया गया है। त्रुटियां ठीक करवाकर नई अंकतालिकाएं जारी कर दी हैं।
-महावीर सिंह सिंघल, प्राचार्य, डाइट, चूरू