Sunday, August 30, 2009

ऐसा पानी तौबा-तौबा

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स्वच्छ जलाशय का दूषित होता पानी
चूरू , 30 अगस्त। जिले में जलजनित बीमारियों के नित नए मामले सामने आने के बावजूद जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग लोगों की सेहत के प्रति कितना गंभीर है इसका अंदाजा राजकीय गोयनका उच्च माध्यमिक विद्यालय के पीछे स्थित स्वच्छ जलाशय को देखकर सहज लगाया जा सकता है। शहर के आधा दर्जन वार्डों के हजारों लोगों को पीने का पानी मुहैया करवाने वाला यह जलाशय लम्बे समय से सफाई की बाट जो रहा है। जलाशय के पानी को परिंदों व धूल-मिट्टी से बचाए रखने के लिए लगाई गई सीमेंट की चद्दरें टूटकर कब जलप्लावित हो गई विभाग को खबर ही नहीं है। अचम्भे की बात तो यह है कि ऐसे जलाशयों पर विभाग के कर्मचारी की नियमित नजर ही नहीं है। पत्रिका टीम ने रविवार को जलाशय को देखा तो पानी में पक्षियों के अण्डे व पंख आदि गंदगी तैरती नजर आई। जलाशय का करीब चालीस प्रतिशत हिस्सा ऊपर से खुला पड़ा था। अधिकारिक जानकारी के अनुसार सात सौ पचास किलोलीटर पानी क्षमता के इस जलाशय से वार्ड नम्बर 35 से 40 तथा वार्ड नम्बर एक के घरों में सुबह-शाम जलापूर्ति की जाती है। जलाशय पर तैनात हैल्पर सत्तार अली ने बताया कि 31 जुलाई को छत के नीचे लगा पाइप टूटने से आधा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। इससे अधिकारियों को अवगत भी करवा दिया गया था।नहीं निकाली चद्दरेंजलाशय को सीमेंट की चार दर्जन से अधिक चद्दरों से ढका गया है। इनमें से जलाशय के पानी में डूबीं पांच चद्दरों को तो एक माह में भी बाहर नहीं निकाला जा सका है। इनके अलावा तीन चद्दरों का कुछ हिस्सा चौबीसों घंटे पानी में डूबा रहता है।
जल की शुद्धता का सवाल
आपणी योजना के कर्मसाना पम्पिंग स्टेशन से नहर का पानी शुद्धिकरण के बाद इस जलाशय में आता है। जलाशय के पास स्थित टंकी से पानी घरों में सप्लाई किया जाता है। जलाशय का कुछ हिस्सा ऊपर से खुला पड़ा होने से पानी की शुद्धता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। जलदाय महकमे के अधिकारियों का इस ओर तनिक भी ध्यान नहीं गया है जबकि जिले के सुजानगढ़ तहसील के गांव बडावर में दूषित पानी पीने से उल्टी-दस्त के कारण हाल ही तीन जने अकाल मौत का शिकार हो चुके हैं।
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तीन साल पहले इस जलाशय की आरसीसी की छत गिरने से इस पर सीमेंट की चद्दरें लगाई थीं। सीमेंट की चद्दरें टूटकर इसमें गिरने की मुझे जानकारी नहीं है। ऐसी बात है तो अविलम्ब छत की मरम्मत करवाकर जलाशय की सफाई करवा दी जाएगी।
-शेषराम वर्मा, सहायक अभियंता (शहर), जलदाय विभाग
टंकी ने उड़ाई नींद
हादसे को दे रही है निमंत्रण
चूरू, 30 अगस्त। वार्ड 21 स्थित पानी की टंकी ने लोगों की नींद उड़ा रखी है। जर्जरावस्था में खड़ी यह टंकी चौबीस पहर हादसे को दावत देती नजर आती है। हैरत की बात है कि जलदाय विभाग के पीठ पीछे स्थित इस टंकी को ढहाने अथवा मरम्मत कराने पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया जा रहा।बिसाऊ रोड स्थित पानी की इस टंकी का कभी प्लास्टर तो कभी सीढिय़ां गिरती रहती हैं। वर्तमान में टंकी के छज्जे का कुछ हिस्सा तो हवा में लटक रहा है। गिरने की कगार पर पहुंच चुकी इस टंकी से आस-पास लोगों में भय व्याप्त है। पानी का भार वहन करने लायक नहीं रहने पर विभाग ने इससे जलापूर्ति तो बंद कर दी मगर इसकी मरम्मत या इसे सुरक्षित नीचे गिराने की ओर ध्यान ही नहीं दिया।
पहले सीढ़ी गिरी अब छज्जा
वार्डवासियों की मानें तो करीब दो माह पहले टंकी के ऊपर स्थित लोहे की सीढिय़ां नीचे आ गिरी थीं और अब शनिवार रात दस बजे टंकी का छज्जा रैलिंग समेत भरभराकर नीचे गिर गया। प्लास्टर तो आए दिन गिरता रहता है।कब मिलेगी राहतटंकी का झुकाव पश्चिम दिशा की ओर है। इस ओर राजेन्द्र शर्मा, शंकरलाल शर्मा, सरला देवी व राजकुमार समेत कई लोगों के घर हैं। टंकी कभी भी इनके घरों पर गिर सकती है। विभाग के अधिकारी अब भी चेत जाएं तो परेशान लोगों को राहत मिल सकती है। कल को खुदा ना खास्ता टंकी से कुछ हो
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टंकी के दो पिलर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। टंकी पश्चिमी दिशा में कभी भी गिर सकती है। इससे कई परिवारों पर खतरा मंडरा रहा है। सीढिय़ां गिरी तो वार्डवासियों ने अभियंताओं से इसे गिराने की मांग भी की थी।
-मनोज कुमार शर्मा, वार्डवासी
टंकी करीब 1982 में बनी थी। सालभर से जर्जर है। इसका कुछ हिस्सा गिर चुका है। विभाग के अधिकारियों को समस्या से अवगत करवाया तो जवाब मिला कि इसे गिराने के टेण्डर हो चुके हैं। जल्द ही समस्या का समाधान हो जाएगा मगर नतीजा सिफर
-कमल कुमार शर्मा, वार्डवासी
रात को दस बजे अचानक धमाके के साथ छज्जा नीचे आ गिरा। बच्चे डर गए और रोने लगे। वार्ड के अधिकांश लोग घरों से बाहर आ गए। टंकी से लोगों में भय व्याप्त है।
-नर्मदा देवी, वार्डवासी

Friday, August 7, 2009

बिन बरसे फिरा पानी

बूटा-बूटा तोडऩे लगा दम, 40 हजार हैैक्टेयर की फसलें चौपट, 2 हजार हैक्टेयर रोजाना प्रभावित
विश्वनाथ सैनी
चूरू, 7 अगस्त।
थळी के धोरों में नीली छतरी वाले की मेहरबानी नहीं होने से खरीफ का बूटा-बूटा दम तोडऩे लगा है। मेहनत को मिट्टी में मिलती देख काश्तकारों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी होने लगी हंै।
हालात इस कदर बिगड़ते जा रहे हैं कि दस-बारह दिन में फसलों की प्यास नहीं बुझी तो काश्तकारों की उम्मीदों पर बिन बरसे ही पानी फिर जाएगा। खेतों से अनाज की पैदावार तो दूर चारे के भी लाले पड़ जाएंगे।
विभागीय जानकारी के अनुसार जिले में खरीफ फसलों की कुल बुवाई के करीब पांच प्रतिशत यानि 40 हजार 275 हैक्टेयर में फसलें पूरी तरह से तबाह हो चुकी हैं। इसमें चारा पैदा होने की भी गुंजाइश नहीं बची है।

कितनी प्यास, कितनी उम्मीद
कृषि अधिकारियों की मानें तो आगामी पांच दिन में बारिश होती है तो खरीफ फसलों की प्रति हैक्टेयर अनुमानित पैदावार में से ग्वार की 75 प्रतिशत, बाजरा व मोठ की 70-70 प्रतिशत पैदावार ही हासिल हो सकेगी।
तीन-चार रोज में बारिश होने पर मूंग की साठ प्रतिशत पैदावार प्राप्त होने की गुंजाइश है। खरीफ की अन्य फसलों की स्थिति दयनीय है।

तापमान बना दुश्मन
सावन में अच्छी बारिश के बाद अगर तापमान 35 से 38 डिग्री सेल्सियस रहे तो फसलों के लिए वरदान साबित होता है मगर इस बार सावन सूखा बितने पर तापमान भी फसलों का दुश्मन बना हुआ है। कृषि विभाग के मौटे अनुमान के तौर पर जिले में रोजाना करीब दो हजार हैक्टेयर में फसल दम तोड़ रही है।

घट गया उत्पादन
फसल~~~~ नुकसान
बाजरा~~~~ 25-30
ग्वार~~~~~ 25
मोठ~~~~~ 30
मूंग~~~~~~40
मूंगफली~~~15-20
(कृषि विभाग के अनुसार नुकसान प्रतिशत में)

पैदावार में घाटा
ब्लॉक~~~~ नुकसान
रतनगढ़~~~40
चूरू~~~~~~35
सरदारशहर~ 32-33
तारानगर~~~31
राजगढ़~~~~28
सुजानगढ़~~20-25
(कृषि विभाग के अनुसार नुकसान प्रतिशत में)
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बारिश नहीं होने से आगामी सप्ताह में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरा जाएंगी। फसलों से पैदावार तो दूर चारे की भी गुंजाइश नहीं रहेगी।
-रणजीतसिंह सर्वा, कृषि अधिकारी