Friday, September 24, 2010

तीसरी आंख भी रखेगी निगरानी

आरएएस की परीक्षा, प्रत्येक केन्द्र की होगी वीडियोग्राफी
चूरू। बोर्ड परीक्षाओं और मतदान प्रक्रिया की तर्ज पर अब आरएएस परीक्षा पर भी तीसरी आंख से निगरानी रखी जाएगी। प्रदेश में 29 सितम्बर को हो रही आरएएस परीक्षा के प्रत्येक केन्द्र पर इस बार से एक-एक वीडियोग्राफर तैनात किया जाएगा।
वीडियोग्राफर केन्द्र पर प्रश्न पत्र के लिफाफे खोलने से लेकर परीक्षा के बाद लिफाफे को फिर से सील किए जाने तथा औचक निरीक्षण समेत केन्द्र की समस्त गतिविधियों को कैमरे में कैद करेगा। परीक्षा के बाद प्रत्येक केन्द्र की वीडियोग्राफी की सीडी बनाकर आरपीएससी मुख्यालय अजमेर पहुंचाई जाएगी।
परीक्षा की गोपनीयता बरकरार रखने के लिए वीडियोग्राफी के अलावा भी कई कदम उठाए गए हैं। अब निजी परीक्षा केन्द्रों पर एक की बजाय दो पर्यवेक्षक तैनात किए जाएंगे। साथ ही छह परीक्षा केन्द्रों पर एक-एक फ्लाइंग स्क्वायड लगाएंगे।
-----
कम्प्यूटर से जारी होगा प्रवेश पत्र
आरपीएससी की ओर से मूल प्रवेश पत्र प्राप्त करने से वंचित रहे परीक्षार्थियों के लिए इस बार डुप्लीकेट प्रवेश पत्र जारी करने की भी नई व्यवस्था की गई है। आरपीएससी ने प्रत्येक जिले में विशेष सॉफ्टवेयर उपलब्ध करवाया है। जिसमें परीक्षार्थियों की सूची व जानकारी मय फोटो के उपलब्ध है। डुप्लीकेट प्रवेश पत्र चाहने वालेे परीक्षार्थियों को अपनी दो फोटो व पांच रुपए की डीडी के साथ परीक्षा कंट्रोल कक्ष में उपस्थित होना होगा। परीक्षार्थी की पुख्ता पहचान के बाद उसे कम्प्यूटर से मूल प्रवेश पत्र की प्रतिलिपि जारी कर दी जाएगी। पूर्व में अधिकारी अपने स्तर पर प्रमाणित कर डुप्लीकेट प्रवेश पत्र जारी करते थे।
-----
आरएएस परीक्षा को लेकर इस बार कई नए कदम उठाए गए हैं। प्रत्येक केन्द्र की समस्त गतिविधियों को वीडियो में कैद करने और निजी केन्द्रों पर दो-दो पर्यवेक्षक तैनात करने का निर्णय किया है। साथ ही डुप्लीकेट प्रवेश पत्र भी कम्प्यूटर से जारी करेंगे।
-डॉ. केके पाठक, सचिव, आरपीएससी, अजमेर

Tuesday, September 21, 2010

ब्लॉक स्तर पर होगी मौसम की भविष्यवाणी

जयपुर समेत चार जिलों में लगेंगे अत्याधुनिक राडार,
मौसम विभाग के डीजीएम अजीत त्यागी चूरू आए
चूरू। देश में अब ब्लॉक स्तर तक मौसम की भविष्यवाणी की जा सकेगी। इसके लिए मौसम केन्द्रों को हाइटेक करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए गए हैं। चुनिंदा मौसम केन्द्रों पर डोप्लर वैदर राडार लगाए जाने के साथ ही करीब दो हजार स्थानों पर स्वचालित मौसम केन्द्र स्थापित किए जा रहे हैं।
मौसम विभाग नई दिल्ली के डीजीएम डॉ. अजीत त्यागी ने सोमवार को पत्रिका से बातचीत में यह जानकारी दी। डॉ. त्यागी चूरू में स्वचालित मौसम केन्द्र का उद्घाटन करने आए हुए थे। उन्होंने बताया कि जयपुर मौसम केन्द्र में जनवरी 2011 के अंत तक डोप्लर वैदर राडार काम करना शुरू कर देगा। जिससे प्रदेश में चार सौ किलोमीटर की परिधि के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। 12 जिलों में स्वचालित मौसम केन्द्र स्थापित कर दिए गए हैं जबकि शेष 21 जिलों में मौसम केन्द्र जल्द स्थापित होंगे। देशभर में 50 डोप्लर वैदर राडार और दो हजार स्वचालित मौसम केन्द्र की योजना बनाई गई है। जिसके प्रथम चरण का काम शुरू हो गया है। दूसरे चरण का आगाज 2012 में होगा।

सुपर कम्प्यूटर बनेंगे मददगार
डॉ. त्यागी ने बताया कि डोप्लर वैदर राडार और स्वचालित मौसम केन्द्र से आंकड़े सीधे दिल्ली, पुणे व मुम्बई में तुरंत प्राप्त किए जा सकेंगे, जहां सुपर कम्प्यूटर से आंकड़ों का विस्तृत अध्ययन एवं विश्लेषण कर ब्लॉक स्तर तक के तापमान, हवा, बारिश व नमी आदि की भविष्यवाणी की जा सकेगी। फिलहाल मौसम विभाग जिला स्तर तक के मौसम का हाल बताने में सक्षम है।

कोटा में भी लगेगा राडार
डॉ. त्यागी ने बताया कि प्रदेश में श्री गंगानगर और जैसलमेर में डोप्लर वैदर राडार लगा हुआ हैं, मगर दोनों ही पुरानी तकनीक से काम कर रहे हैं। अत्याधुनिक राडार सबसे पहले जयपुर में लगेगा। इसके बाद कोटा का नम्बर आएगा। साथ ही श्रीगंगानगर और जैसलमेर स्थित पुराने राडार को भी बदला जाएगा।

पल-पल के मौसम पर होगी पकड़
चूरू में स्वचालित मौसम केन्द्र शुरू
चूरू। जिला मुख्यालय स्थित मौसम केन्द्र हाइटेक हो गया है। यहां पर सोमवार से स्वचालित मौसम केन्द्र ने काम करना शुरू कर दिया है। अब जिले के पल-पल के मौसम पर केन्द्र की पकड़ हो जाएगी। मौसम विभाग नई दिल्ली के डीजीएम डॉ. अजीत त्यागी व मौसम विभाग जयपुर के निदेशक एसएस सिंह ने सुबह दस बजे केन्द्र का फीता काटकर विधिवत उद्घाटन किया। डॉ. त्यागी ने बताया कि चूरू मौसम केन्द्र पर तीन घंटे के अंतराल में ही मौसम की जानकारी ले पाना संभव हो पा रहा था जबकि मौसम की भविष्यवाणी करने के लिहाज से चूरू देशभर में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ऐसे में यहां पर लम्बे समय से स्वचालित मौसम केन्द्र की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। अब दस मिनट के अंतराल में मौसम का हाल जाना जा सकेगा।
प्रदेश के 12 जिलों में स्वचालित मौसम केन्द्र स्थापित करने में चूरू को भी प्राथमिकता से लिया गया है। निदेशक एसएस सिंह ने बताया कि स्वचालित मौसम केन्द्र शुरू होने पर पाला पडऩे, ओले गिरने व भारी बारिश आदि का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। चूरू केन्द्र प्रभारी जिलेसिंह राव ने डॉ. त्यागी व सिंह को केन्द्र का निरीक्षण करवाया। इस मौके पर सहायक मौसम वैज्ञानिक जयपुर एनके मल्होत्रा, आरएस सिहाग, गोपाल लाल वर्मा आदि उपस्थित थे।

Friday, September 17, 2010

सरपंची के फेर में बच्चे हुए जवां

दो सरपंचों समेत तीन के निर्वाचन अवैध घोषित करने की सिफारिश
शिकायत की जांच में हुआ खुलासा, जन्मतिथि के बनाए फर्जी दस्तावेज

चूरू। जिले में दो सरपंच और एक उप सरपंच की पंचायती छिनने के आसार हैं। जिला प्रशासन ने तीनों के निवार्चन अवैध घोषित करने की आलाधिकारियों को सिफारिश की है। तीनों पर चुनाव घोषणा पत्र में संतान संबंधित वास्तविक तथ्य छिपाने का आरोप है। पंचायत चुनाव के बाद जिला प्रशासन को मिली शिकायतों की जांच में तीनों को प्रथम दृष्टया दोषी माना गया है।
तीनों ने अपनी पंचायती चलाने के लिए न केवल अपने बच्चों की वास्तविक उम्र काफी बढ़ा दी बल्कि नई जन्मतिथि के फर्जी दस्तावेज भी तैयार करवा लिए। शिकायतों की गहन जांच के बाद जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अबरार अहमद ने संभागीय आयुक्त बीकानेर को सरदारशहर पंचायत समिति की ग्राम पंचायत मेहरासर चाचेरा की सरपंच सुवा कंवर, पिचकराई ताल की सरपंच मंजू देवी पारीक और चूरू पंचायत समिति की ग्राम पंचायत जसरासर के वार्ड पंच पूर्णाराम के निर्वाचन को अवैध घोषित करने की सिफारिश की है। इनके अलावा सुजानगढ़ व सादुलपुर पंचायत समिति के एक-एक सरपंच के खिलाफ जांच जारी है।

केस-एक
सरदारशहर पंचायत समिति की ग्राम पंचायत मेहरासर चाचेरा की सरपंच सुवा कंवर ने अपनी पांचवीं संतान पुत्र भूपेन्द्र उर्फ भवानी सिंह की वास्तविक जन्मतिथि छिपाई है। शिवाजी पब्लिक शिक्षण संस्थान मेहरासर चाचेरा और नेहरू बाल निकेतन उप्रावि भोजरासर के रिकॉर्ड में भूपेन्द्र की जन्मतिथि 5 दिसम्बर 1999 है जबकि सुवा कंवर ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जन्मतिथि 21 अप्रेल 94 अंकित की गई है।

केस-दो
सरदारशहर तहसील की ग्राम पंचायत पिचकराईताल की सरपंच मंजू देवी पारीक ने अपनी चौथी संतान पुत्र आनंद की जन्मतिथि में हेरफेर किया है। चुनाव घोषणा पत्र में आनंद की जन्मतिथि ग्राम पंचायत से जारी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर 10 दिसम्बर 1991 अंकित की गई है। जबकि जन्म प्रमाण पत्र चुनाव के बाद 18 फरवरी 2010 को जारी करवाया गया। रामावि और ज्ञान ज्योति उप्रा शिक्षण संस्थान बरजांगसर के रिकॉर्ड के मुताबिक आनंद की जन्मतिथि 4 दिसम्बर 1996 है।

केस-तीन
तीसरा मामला चूरू पंचायत समिति की ग्राम पंचायत जसरासर के वार्ड पंच पूर्णाराम के निर्वाचन का है। पूर्णाराम बाद में उप सरपंच चुन गए थे। इन्होंने चुनाव घोषणा पत्र मेंं अपनी छठी संतान पुत्री गायत्री का जन्म 6 अपे्रल 198 5 व सातवीं संतान पुत्री बनारसी का जन्म 13 अप्रेल 198 8 को होना बताया है। जबकि गांव धीरावास के राजकीय माध्यमिक विद्यालय के रिकॉर्ड के मुताबिक गायत्री की वास्तविक जन्मतिथि 15 सितम्बर 1998 व बनारसी की जन्मतिथि 10 अक्टूबर 1999 है।

इनकी जांच जारी
इनके अलावा सुजानगढ़ पंचायत समिति की गोपालपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच अमराराम मेघवाल व सादुलपुर ग्राम पंचायत के सरपंच न्यांगल छोटी के निर्वाचन पर भी तलवार लटक रही है। जिला प्रशासन को दोनों सरपंचों के खिलाफ संतान सम्बन्धित तथ्य छुपाने की शिकायत मिली है। जिसकी संबंधित विकास अधिकारी से जांच करवाई जा रही है।
क्या है नियम
राजस्थान पंचायत राज निर्वाचन नियम 1994 में निर्धारित तिथि 27 नवम्बर 1995 के बाद किसी के तीसरी संतान पैदा होने पर वह चुनाव लडऩे का अपात्र हो जाता है। इसके बावजूद अगर चुनाव जीतता है तो शिकायत मिलने पर उसका निर्वाचन अवैध घोषित किया जा सकता है।

इनका कहना है...
दो सरपंच व एक उप सरपंच के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की बीडीओ व बीईईओ से विस्तृत जांच करवाई गई। जांच रिपोर्ट के आधार पर तीनों के निर्वाचन को अवैध घोषित किए जाने की संभागीय आयुक्त को सिफारिश की गई है। दो सरपंचों के खिलाफ प्राप्त शिकायत की जांच जारी है।
-अबरार अहमद, सीईओ, जिला परिषद चूरू

Wednesday, September 1, 2010

घर का बीज पडोसी रहे सींच

चूरू। घर का जोगी जोगणा आन गांव का सिद्ध वाली कहावत चूरू जिले के गांव गुडाण निवासी प्रगतिशील किसान महावीर सिंह आर्य पर सटीक बैठ रही है। किसान आर्य की ओर से तैयार की गई गेहूं की नई किस्म 'महा किसान क्रांति' व 'महा किसान वरदान' को प्रदेश में भले ही पहचान नहीं मिल पाई हो, मगर पडोसी राज्य उत्तर-प्रदेश व हरियाणा के किसानों के लिए ये किस्में वरदान साबित हो रही हैं। किसान इन किस्मों के बीजों की बुवाई कर मालामाल हो रहे हैं। यूपी के मुजफ्फनगर, एलम, बागपत, कासिमपुर, खेडी, निरपुदा व सिसोली तथा हरियाणा के भिवानी, लुहारू, बहल व दादरी इलाके के सैकडों खेत क्रांति व वरदान किस्म से लहलहा चुके हैं।
इस बार रबी के सीजन में उत्तर प्रदेश के करीब 250 तथा हरियाणा के 20 किसानों ने इन किस्म के गेहूं की बम्पर पैदावार हासिल की है। रबी की फसल के आगामी सीजन में उत्तर प्रदेश में दोनों किस्में काम लेने वाले किसानों की संख्या दोगुनी होने का अनुमान है। जानकारी के अनुसार आर्य की ओर से तैयार गेहूं की दोनों ही किस्म यूपी की स्थानीय किस्म पीवीडब्ल्यू 377 व यूपी 2338 किस्म तथा हरियाणा की 306 किस्म से पैदावार समेत चारा व रोग प्रतिरोधक क्षमता में अघिक उन्नत साबित हो रही है। इससे हरियाणा में किसान 35 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की तुलना में 50 से 60 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तथा यूपी के किसान 45-50 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के मुकाबले 60 से 70 क्विंटल प्रति हैक्टेयर पैदावार प्राप्त कर रहे हैं।

पड़ोसी राज्यों के खेतों में यूं पहुंचा बीज
वर्ष 2007-08 में झुंझुनूं जिले के पिलानी में लगे किसान मेले में महावीर सिंह आर्य ने दोनों ही किस्म के बीजों की प्रदर्शनी लगाई थी। मेले में आए यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के गांव एलम के किसान सुनील ने आर्य से बीस किलोग्राम बीज खरीदे थे। सुनील में यूपी में दो बीघा में बुवाई की और पहली बार नौ क्विंटल पैदावार हासिल की। इससे कम समय में ही दोनों किस्मों ने मुजफ्फर नगर समेत आस-पास के कई जिलों में पहचान बना ली। इसी प्रकार वर्ष 2008-09 में हरियाणा के भिवानी जिले के दिगावा में एनएचआरडीएफ की ओर से लगाए गए मेले में आर्य ने दोनों ही किस्मों की प्रदर्शनी लगाई। हरियाणा के कई किसानों ने आर्य से इनके बीज खरीदे। इसके बाद दोनों ही राज्यों के किसान आर्य से लगातार सम्पर्क में रहे और समय-समय पर गुडाण आकर बीज प्राप्त किए।

हम दिलाएंगे पहचान
चूरू के किसान की ओर से तैयार गेहूं की नई किस्मों का यूपी व हरियाणा में बडे पैमाने पर उपयोग होना हम सब के लिए गर्व की बात है। प्रदेश के किसानों का इनसे लाभान्वित नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इस संबंध में पहले जानकारी नहीं थी। आपने इस ओर ध्यान दिलाया है। गेहूं की इन किस्मों की प्रदेशभर में भी पहचान हो, इसके लिए उच्च अघिकारियों से चर्चा की जाएगी।
-होशियार सिंह, उपनिदेशक, कृषि विभाग, चूरू

दिनोंदिन बढती मांग
गेहूं की उन्नत किस्में तैयार करने में बीते दो दशक से काम रहा हूं। महा किसान क्रांति व महा किसान वरदान नामक किस्म सबसे अघिक सफल रही हैं। दोनों ही किस्मों के पेटेंट की प्रक्रिया चल रही है। इसकेे लिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान अहमदाबाद की टीम भी कई बार गुडाण आ चुकी है। हरियाणा व यूपी में दोनों किस्मों की मांग दिनोंदिन बढती जा रही है।
-महावीर सिंह आर्य, किसान, गांव गुडाण, राजगढ (चूरू)

500 किसान बोएंगे
ढाई वर्ष पूर्व मुजफ्फनगर के किसान सुनील ने राजस्थान के किसान महावीर सिंह आर्य से लाई दो नई किस्मों की जानकारी दी थी। दोनों ही किस्म हमारी स्थानीय किस्मों से अघिक पैदावार देती हैं। पिछले कई साल से मैं दोनों को काम में ले रहा हूं। इस बार हमारे यहां के करीब पांच सौ किसान क्रांति व वरदान किस्म के गेहूं की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं।
-नरेन्द्र सिंह (किसान), निरपुदा, जिला बागपत, उत्तर प्रदेश

पर्याप्त बीज का अभाव
गेहूं की महा किसान क्रांति व महा किसान वरदान किस्म का उपयोग करने से हमें स्थानीय किस्म से 15-25 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक अघिक पैदावार प्राप्त होती है। गुडाण निवासी प्रगतिशील किसान आर्य से एक किसान मेले में बीज खरीदा था। हरियाणा के कई जिलों में इन किस्मों की मांग बढ रही है, मगर आर्य पर्याप्त मात्रा में बीज उपलब्ध नहीं करा पा रहा है।
-हीरानंद श्योराण (किसान), गांव पहाडी, जिला भिवानी, हरियाणा