Sunday, June 6, 2010

वन्य जीवों को भाए धोरे

वन्यजीव गणना-2010 : आंकड़ा दस हजार के पार
विश्वनाथ सैनी @ चूरू। थळी की आबो-हवा वन प्राणियों को खासी रास आ रही है। यही कारण है कि धोरों में वन्यजीवों का कुनबा बढ़ गया है। जिले के वन क्षेत्र में वन प्राणियों का आंकड़ा दस हजार पार हो चुका है।
इस की वन्यजीव गणना में गत वर्ष की तुलना में 900 से अधिक नए वन्यजीव सामने आए हैं। जंगली बिल्ली के अलावा किसी भी वन प्राणी की संख्या में कमी नहीं आई है। सबसे अधिक इजाफा साण्डा की संख्या में हुआ है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार जिले के कुल 71 सौ हैक्टेयर वन क्षेत्र में दस हजार 336 वन्यजीव विचरण कर रहे हैं। इनमें 934 वन्यजीव इस बार बढ़े हैं। इस साल 28 व 29 अप्रेल को जिले में वन्यजीवों को गिना गया था।
वन क्षेत्र में जलस्रोतों व वन्यजीवों के आने-जाने के मुख्य रास्तों पर वनकर्मियों ने चौबीसों घंटे नजर रख गणना की थी। वन्यजीव गणना की रिपोर्ट को विभाग ने हाल ही अंतिम रूप दिया है।
अभयारण्य में आधे से ज्यादा
जिले के कुल वन क्षेत्र के करीब दस फीसदी हिस्से में फैले विश्व प्रसिद्ध कृष्ण मृग तालछापर अभयारण्य में आधे से ज्यादा वन्य जीवों ने डेरा डाल रखा है। वन अधिकारियों की मानें तो अभयारण्य व उसके आस-पास के क्षेत्र में छह हजार 329 विचरण करते देखे गए हैं। अभ्यारण्य में इस बार कृष्ण मृगों की संख्या 1910 से बढ़कर 2025 हो गई है। कृष्ण मृगों की संख्या और भी बढ़ सकती थी, लेकिन गत वर्ष मई के अंतिम सप्ताह में बारिश व तेज तूफान के कारण छह दर्जन से अधिक कृष्ण मृग अकाल मौत का शिकार हो गए।
बढऩे के कारण
वन अधिकारी जिले में वन्यजीवों की संख्या बढऩे को अच्छा संकेत मान रहे हैं। अधिकारियों की मानें तो वन क्षेत्र में सघन पौधरोपण, जन जागरुकता एवं वनकर्मियों की सतर्कता से वनजीव खुद को पहले से अधिक सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। इस बार ईको रिस्टोरेशन के तहत भी वन क्षेत्रों में वन्यजीवों के लिए विशेष कार्य करवाए जाने की कवायद की जा रही है।
आंकड़ों की जुबानी
वन्यजीव---------2009--------- बढ़े
काले हरिण-------1910---------115
मरु लोमड़ी-------116-----------०8
चिंकारा-----------2663---------42
नीलगाय---------976------------60
मरु बिल्ली------०4--------------15
गिद्ध-------------42-------------०6
चील/बाज----------71--------- 70
साण्डा---------3489---------620
जंगली बिल्ली131----------- ०2 (घटे)
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वन्यजीवों की संख्या बढऩा अच्छा संकेत है। विभाग भी यही प्रयास करता है कि वन्यजीवों को जिले में अनुकूल वातावरण मिले। इस बार ईको रिस्टोरेशन के तहत भी वन क्षेत्र में वन्यजीवों को पानी उपलब्ध करवाने समेत कई काम करवाए जाने प्रस्तावित हैं।
-केसी शर्मा, डीएफओ, चूरू

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