Tuesday, December 29, 2009

मशीनी जुगाड़ रोकेगा जमीनी खिलवाड़

अत्याधुनिक मशीन खरीदने की कवायद
नाप-जोख में इस्तेमाल होगा ईटीएस व जीपीएस
पटवारियों का बचेगा समय
कोई नहीं उलझेगा आंकड़ों में
चूरू, 29 दिसम्बर। जमीनों के नाप-जोख में प्रशासनिक कारिंदों तथा जमीन हड़पने की नीयत रखने वाले पड़ोसी के हाथों होने वाली गड़बड़ी पर अब लगाम कसी जा सकेगी। अनपढ़ ग्रामीण भी पटवारियों के आंकड़ों के जाल में अब नहीं फंस पाएगा। जमीन के नाप-जोख में इंच भर की गड़बड़ी किए जाने की गुंजाइश नहीं बचेगी। यही नहीं बल्कि अब बड़े खेतों को नापने के लिए पटवारियों को घंटों तक नहीं जूझना पड़ेगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने पहल कर जमीनों को नापने की अत्याधुनिक मशीन इलेक्ट्रोनिक टोटल स्टेशन (ईटीएस) व ग्लोबल पोजीसिंग सिस्टम (जीपीएस) खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जिला कलक्टर डा. केके पाठक की पहल पर नई दिल्ली की एक कम्पनी ट्रिम्बल ईटीएस व जीपीएस का प्रदर्शन भी कर चुकी है। अन्य कम्पनियों की मशीनों का भी प्रदर्शन होगा। जिले में कम से कम एक अत्याधुनिक मशीन खरीदी जानी तय है। मशीन की कीमत वाजिब रही तो जिले की प्रत्येक तहसील के लिए एक-एक मशीन खरीदी जाएगी।
मिलीमीटर तक का नाप
वर्तमान में जमीनों का नाप-जोख जरीब (कड़ी) व फीते से होता है।
जिसमें फुट या मीटर तक का ही सही आकलन हो सकता है। जबकि अत्याधुनिक मशीन से ऊंचाई, लम्बाई, चौड़ाई व गहराई को मिलीमीटर तक में नापा जा सकेगा। जमीन का पूरा नाप-जोख मशीन की डिस्पले पर खुद मालिक भी देख सकेगा। इससे नापने के बाद पटवारियों को ना तो कागज काले करने पडेंग़े और ना ही आंकड़ों में उलझना पड़ेगा। मशीन खुद ही सारा हिसाब-किताब कर देगी। कम्प्यूटर के माध्यम से नक्शा तक निकाला जा सकेगा।
कभी नहीं आएगा अंतर
पटवारियों के अनुसार गहरा गड्ढ़ा या ऊंचे टिब्बे वाली जमीन को समतल करने के बाद उसके वास्तविक नाप-जोख और पूर्व में करवाए नाप-जोख में अंतर आ जाता है। जबकि ईटीएस व जीपीएस से एक बार नाप-जोख होने के बाद भविष्य में कभी कोई अंतर नहीं आएगा। खास बात तो यह है कि जमीन के नाप-जोख के लिए एक बार कोई स्थायी बिन्दू तय करने के बाद विवाद की स्थिति में जमीन नापने की नौबत आने पर मशीन उस स्थायी बिन्दू को खुद ढंूढ़ लेगी।
ऐसा होगा नाप-जोख
इलेक्ट्रोनिक टोटल मशीन को ट्राईपोड पर रखकर स्थायी बिन्दू तय किया जाएगा। ईटीएस के सामने रखे रिफ्लेक्टर के बीच की दूरी की गणना कुछ ही क्षणों में हो जाएगी। रिफ्लेक्टर को अधिकतम तीन किलोमीटर दूर रखा जा सकेगा। इसके अलावा जीपीएस को तो हाथ में लेकर जमीन में एक बिन्दू से दूसरे बिन्दू तक ले जाने से ही दूरी की गणना हो जाएगी। दोनों ही प्रक्रिया इतनी सरल हैं कि अनपढ़ व्यक्ति भी आसानी से समझ सकता है।
जिला प्रशासन जमीनों की नाप-जोख के लिए अत्याधुनिक मशीन ईटीएस व जीपीएस खरीदना चाहता है। प्रशासन को इनकी तकनीकी जानकारी भी दे दी गई है। इनसे नाप-जोख किए जाने के बाद गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी।
-विरेन्द्र कुमार राय,डिप्टी बिजनेस मैनेजर, ट्रिम्बल, नई दिल्ली
जमाना हाइटेक हो गया है। ऐसे में जमीनी विवाद से बचने के लिए अत्याधुनिक मशीन खरीद रहे हैं। जिले में कम से कम एक मशीन खरीदी जाएगी। इसके अलावा नरेगा कार्य में सड़क, जोहड़ व मेड़बंदी के नाप-जोख में भी इन मशीनों को इस्तेमाल कर सकेंगे। लागत कम हुई तो प्रत्येक तहसील के लिए एक-एक मशीन खरीदेंगे।
-डा. केके पाठक, जिला कलक्टर, चूरू

1 comment:

  1. इस पोस्ट से बहुत अच्छी जानकारी मिली मैँ भी उत्तरप्रदेश मेँ लेखपाल/पटवारी पद पर कार्यरत हूँ मैँ ट्रिम्बल कम्पनी से gps उपकरण अपने निजी उपयोग के लिये खरीदना चाहता हूँ इस कम्पनी का पता, ईमेल आई डी,मोबाइल नम्बर आदि प्लीज मेल करके बतायेँ निवेदक-प्रभाकर शर्मा ps50236@gmail.comमोबाइल नम्बर08896968727 मेरा ब्लाग www.prabhakarvani.blogspot.com

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