Tuesday, December 22, 2009

भेदिए बताते सुराख

आगार प्रबंधन ने करवाई वीडियोग्राफी, रोडवेज बुकिंग स्थलों से उठाते हैं सवारी, दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है घाटा, गलफांस बनी 171 निजी बसें, रोजाना 50 हजार का चूना
चूरू, 22 दिसम्बर। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम में दिनोंदिन बढ़ते घाटे के लिए परिवहन महकमे के भेदिए ही जिम्मेदार हैं। विभागीय कारिंदे सरकार की नौकरी बजाते हुए निगम के हित में काम करने के भले ही लाख दावे कर रहे हों पर सच्चाई यह भी है कि निजी बस संचालकों को निगम की आय में सुराख करने की सीख भी उन्हीं की दी हुई है।इसे परिवहन विभाग की कथित अनदेखी कहें या निजी बस संचालकों से मिलीभगत कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले निजी वाहनों से निगम को रोजाना तकरीबन पचास हजार रुपए का घाटा हो रहा है। ये वो बसें हैं जो निगम की नियमित बस सेवाओं के निर्धारित समय व निर्धारित मार्ग पर दस से पन्द्रह मिनट के अंतराल में संचालित हो रही हैं। हैरत की बात तो यह है कि अवैध रूप से संचालित इन निजी वाहनों पर अंकुश लगाने के लिए महकमे के पास नियम भी हैं और कानून भी लेकिन उस पर अमल करना कोई नहीं चाहता।यह खुलासा चूरू आगार प्रबंधन की ओर से करवाई गई निजी बसों की वीडियोग्राफी में हुआ है। वीडियोग्राफी की रिपोर्ट बीते सप्ताह प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, जिला कलक्टर, जिला परिवहन अधिकारी से लेकर पुलिस अधीक्षक तक सौंपी जा चुकी है लेकिन निजी बसों पर अंकुश की रणनीति बनाता कोई नहीं दिख रहा। पत्रिका को हाथ लगी इस रिपोर्ट के अनुसार जिला मुख्यालय से रोजाना 171 अवैध निजी बसें संचालित हो रही हैं। ये बसें राष्ट्रीय राजमार्गों पर अवैध रूप से दौडऩे के साथ ही अधिकृत बुकिंग स्थल से सवारियां भी उठा रही रही हैं।
यूं लगाते हैं चूना
आधिकारिक जानकारी के अनुसार परिवहन महकमे की कागजी खानापूर्ति के नाम पर निजी बस संचालकों ने स्टेट कैरिज व कॉन्टे्रक्ट कैरिज परमिट ले रखे हैं। स्टेट कैरिज परमिट प्राप्त निजी बस को राष्ट्रीयकृत मार्ग की बजाय ग्रामीण मार्ग से गुजरना होता है। इसी तरह निर्धारित स्थान व निर्धारित समय के लिए कॉन्ट्रेक्ट कैरिज परमिट जारी किया जाता है। दोनों ही स्थिति में निजी बस चालक निगम के अधिकृत बुकिंग स्थल से सवारी नहीं ले सकते। हकीकत यह है कि परिवहन महकमे के अधिकारियों की मिलीभगत से निजी बस संचालक दोनों ही तरह के परमिट की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं।
हर बार टांय-टांय फिस्स
अवैध रूप से दौड़ती निजी बसों की रोकथाम के लिए परिवहन व पुलिस महकमे की प्रभावी कार्रवाई की उम्मीद से निगम प्रबंधन अधिकृत बुकिंग स्थलों की वीडियोग्राफी करवाता है। लेकिन नतीजा हर बार सिफर रहता है। इससे पहले भी तीन बार वीडियोग्राफी करवाकर अवैध निजी बसों की पहचान उजागर की जा चुकी है। परिवहन विभाग ने निजी बसों पर अंकुश के लिए कभी कोई कदम नहीं उठाए।
चूरू आगार का बढ़ता घाटा
वर्ष~~ ~~~~~~~~हानि
2006-07 ~~~~~8,0००
2007-08~~~~~~ 1,95,0००
2008-09~~~~~~1,41,000
2009-10~~~~~~ 61,49,000
(चालू वर्ष का घाटा नवम्बर तक का)
पंखा सर्किल
निगम के इस अधिकृत बुकिंग स्थल पर 25 नवम्बर को सुबह सवा सात से शाम साढ़े सात बजे तक वीडियोग्राफी करवाई गई। इस दौरान यहां से रतनगढ़, सुजानगढ़, डीडवाना व बीकानेर के लिए कुल 36 निजी बसें अवैध रूप से संचालित हुईं।
कलक्ट्रेट सर्किल
जयपुर से जोडऩे वाले इस प्रमुख मार्ग पर स्थित निगम के अधिकृत बुकिंग स्थल की 26 नवम्बर को सुबह पौने सात से शाम सवा सात बजे तक वीडियोग्राफी करवाई गई। इस बीच यहां से फतेहपुर, सीकर व जयपुर के लिए कुल 72 अवैध निजी बसें दौड़ीं।
लाल घंटाघर
27 नवम्बर को सुबह साढ़े सात से शाम आठ बजे निगम के इस अधिकृत बुंकिग स्थल की वीडियोग्राफी करवाई। इस दौरान यहां से झुंझुनूं वाया बिसाऊ तथा राजगढ़ वाया दूधवाखारा व ढाढऱ के लिए 6 3 अवैध निजी बसों का संचालन हुआ।
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सरकार के निर्देश पर रोडवेज के अधिकृत बुकिंग स्थलों की वीडियोग्राफी करवाकर आरटीओ, डीटीओ, कलक्टर व एसपी को हाल ही रिपोर्ट सुपुर्द की गई है। अवैध रूप से दौड़ती निजी बसों पर अंकुश के प्रति अधिकारियों की बेरुखी यूं ही बनी रही तो निगम कभी भी घाटे की स्थिति से नहीं उबर पाएगा।
-बेनीप्रसाद शर्मा, मुख्य प्रबंधक, चूरू आगार
वीडियोग्राफी की कोई रिपोर्ट मुझे नहीं मिली है। वैसे भी वीडियोग्राफी कराने से कुछ नहीं होने वाला क्योंकि निजी बसों के मालिक बस संचालन के लिए प्रतिमाह टैक्स के रूप में 25-25 हजार रुपए देते हैं।
-जीआर महरड़ा,जिला परिवहन अधिकारी, चूरू
आगार प्रबंधन की ओर से अवैध रूप से संचालित बसों की वीडियोग्राफी की सीडी मिलने के तुरंत बाद कार्रवाई के लिए पुलिस अधीक्षक व जिला परिवहन अधिकारी को निर्देशित किया जा चुका है। कार्रवाई क्यों नहीं हो पाई, यह उनसे पूछने पर ही पता लगेगा।
-डा. केके पाठक, जिला कलक्टर, चूरू
प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी

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