Friday, January 29, 2010

क्या यही प्यार है....


अपने एक लंगोटिया यार के दादाजी के श्राद्ध पर हमें जिगर के टुकड़े राधे की याद आ गई। राधे के गाल पसधारी के लड्डू जैसे और नाक सब्जी की तरह तीखी थी। उसकी बातों में खीर का सा मिठास और चेहरा पूड़ी की भांति गोल था। राधे और मैं हरियाणा में पढ़ा करते थे।12वीं कक्षा के दौरान एक दिन अपने मुंहबोले नानाजी के श्राद्ध के लिए राधे तीसरे कालांश के बाद स्कूल से गायब हो गया था और दूसरे दिन स्कूल आया तो पहले कालांश में मास्टरजी की मार के डर से पेंट में ही...........। समझ गए ना आप। 

राधे को मास्टरजी का बड़ा डर लगता था परन्तु वह प्यार और इश्क के मामले में इतना डरपोक नहीं था। बासंती बयार आई तो वह सहपाठी चम्पा को दिल दे बैठा। चम्पा कक्षा में मेरे बगल में और मैं राधे के बगल में बैठा करता था। उसका छात्रावास की गली से रोज स्कूल आना-जाना था। कभी-कभार तो वह हमारे साथ ही स्कूल जाती।एक दिन दोनों की आंख लड़ी, बात बढ़ी और प्यार हो गया। 

दोनों एक-दूसरे को टुकर-टुकर देखा करते थे। स्कूल में मास्टरजी जब भी कुछ लिखने के लिए ब्लैक बोर्ड की ओर मुड़ते तो राधे और चम्पा का मुंह मेरी ओर यानि वे दोनों एक-दूसरे को देखने लगते। एक दिन राधे ने मेरे से चम्पा के नाम प्रेमपत्र लिखवा डाला। नीली स्याही में डूबाकर दिल के सारे अरमान कागज पर उतरवा दिए। मुझे अपने बगल में और खुद चम्पा के बगल में बैठकर उसके हाथ में थमा दिया परवाना। निकाल ली दिल की सारी भड़ास।दो दिन बाद चम्पा ने कागज के एक छोटे से टुकड़े पर 143 लिखकर राधे से अपने प्यार का इजहार कर दिया।

वार्षिक परीक्षा तक दोनों का प्यार चला और फिर चम्पा अपने गांव चली गई। उसका गांव हरियाणा की खाप पंचायतों में से एक था। (हरियाणा का कुछ क्षेत्र खाप पंचायतों के रूप विख्यात है) राधे से चम्पा की जुदाई सही नहीं गई और वह इतवार को उससे मिलने गांव जाने लगा। गांव के बाहरी इलाके में दोनों एक नीम के पेड़ के नीचे घंटों बतियाते और सांझ ढलने से पहले जुदा हो जाते। 

दोनों का प्यार इस कदर परवान चढ़ा कि उन्होंने जीवनभर साथ निभाने का फैसला कर लिया।कहते हैं कि इश्क और मुश्क ज्यादा दिन तक नहीं छिपते। चम्पा और राधे के साथ भी ऐसा ही हुआ। आखिर खाप पंचायतों के चौधरियों की नजर से वे बच नहीं पाए। हर दिन एक नया चौधरी उनके प्यार का दुश्मन बनता गया। दोनों सात फेरों में बंधने का ख्वाब सजाने लगे और मैं उनके विवाह के निमंत्रण पत्र का इंतजार कर रहा था।

एक रोज खबर मिली कि दोनों की किसी ने गला रेतकर हत्या कर दी। खाप पंचायतों के एक खेत में दोनों अचेत अवस्था में पड़े मिले। हत्यारों का कोई सुराग नहीं लगा। हां, यह जरूर तय था कि उनकी हत्या खाप पंचायतों में से ही किसी ने की है। मेरे दोस्त, सखा और मित्र राधे व चम्पा की प्रेम कहानी के साथ-साथ उनका भी अंत हो गया।

सवाल उनकी मौत का नहीं बल्कि सवाल यह है कि आखिर हरियाणा की खाप पंचायतों में प्रेमी जोड़ों को खुलकर जीने की आजादी कब मिलेगी? आजादी के साठ साल गुजरे जाने के बाद भी आखिर कब तक प्रेमी यूं ही मौत का शिकार होते रहेंगे? अपनी बर्बरता और मानवाधिकार की खुलेआम धज्जियां उडाने के लिए जानी जाने वाली खाप पंचायतों के लिए राधे और चम्पा को मौत के घाट उतारना कोई नया काम नहीं ।

ताज़ा घटनाक्रम पर नजर डालें तो पिछले साल नौ मई को कालीरमन खाप पंचायत के आदेश पर प्रेमी जसवीर और प्रेमिका सनिता की हत्या कर दी गई थी और इस साल 12 मार्च को करनाल जिले के मातौर गांव में बनवाला खाप ने वेदपाल और सोनिया को अलग होने का फरमान सुनाया। बाद में 26 जुलाई को वेदपाल भी खाप पंचायत का शिकार हो गया। 

अगस्त में झझर जिले के घाडऩा गांव में बतौर पति-पत्नी साथ रह रहे रवीन्द्र और शिल्पा को भाई-बहन बनाने के पक्ष में कायदान खाप ने चार दिन तक धरना दिया। विडम्बना है कि धरने में महिलाएं भी शामिल हुईं। इसी मामले को लेकर गांव बेरी में खाप पंचायत बैठी। प्रेमी-प्रेमिका को कभी गांव वापस न आने और रवीन्द्र के पिता को तीन महीने गांव से बाहर रहने का फरमान सुनाया गया।

ऑल इण्डिया वीमेंस एसोसिएशन एडवा की एक रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में खाप पंचायतों समेत हर वर्ष करीब सौ प्रेमी जोड़ों की या तो हत्या कर दी जाती या उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया जाता है। अकेली खाप पंचायतें हर माह आठ से दस प्रेमी जोड़ों के साथ यह अन्याय करती है।

गंगा मैया की कसम ना तो हमारा कोई राधे दोस्त था और ना ही राधे की प्रेमिका चम्पा। खाप पंचायतों के मन को झकझोर देने वाले नित नए कारनामे पढ़कर हमारी कलम चल गई...। प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी
प्रतिक्रियाएँ:

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2 टिप्पणियाँ:

RAJNISH PARIHAR said...
बहुत ही खूब...!हम किसी के बारे में इतना अच्छा सोचते है.शायद यही प्यार है..
October 21, 2009 3:27 PM

RAJNISH PARIHAR said...
वैसे आपकी कहानी भी काफी दिलचस्प लगी,आता हूँ कभी चाय पर...

1 comment:

  1. aapne bahut achha likha hai...shuruaat jitne pyare tariqe se ki ant mein utna hi hilaa kar rakh diya...bahut khoob

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