Monday, July 12, 2010

सिमटेंगे बिखरे गांव

पंचायत स्तर पर रायशुमारी
विश्वनाथ सैनी @ चूरू। एक होकर भी अनेक नाम से पहचाने जाने वाले जिले के कई राजस्व गांवों को एक नाम और एक पहचान दी जाएगी। प्रशासनिक स्तर पर उपजे इस विचार को हकीकत में बदलने के लिए पंचायत स्तर पर रायशुमारी शुरू हो चुकी है। ग्रामीणों की सर्व सहमति बनी और राजनीतिक स्वीकृति मिली तो इन गांवों की कायाकल्प हो जाएगी। जिले के करीब 148 राजस्व गांव व्यवहारिक तौर पर 64 गांव ही हैं। छोटे-छोटे भू-भागों में बंटे होने तथा जाति व गौत्र विशेष के नाम से पैतृक पहचान पाने के कारण ये गांव एक होकर भी अनेक बने हुए हैं।
उदाहरण के तौर पर चूरू तहसील का गांव धीरासर रिकॉर्ड में धीरासर बीकान, धीरासर शेखावतान व धीरासर चारणान नाम से दर्ज है। कई गांव दिशा के नाम पर उतरादा व दिखनादा, आथुना व आगुना जैसे नामों में विभक्त हैं। इसी प्रकार कुछ गांव क्षेत्रफल के लिहाज से बैरासर बडा, छोटा, व मझला में बंट गए। एकीकरण की प्रक्रिया में गांव धीरासर के विभाज्य नाम बीकान, शेखावतान व चारणान हटा दिए जाएंगे। ऎसे ही बडा, छोटा हटा कर गांव बैरासर नाम से ही जाना जाएगा। राजस्व रिकॉर्ड में गांव का नाम एक ही रहेगा। भविष्य में गांव के मूल नाम के आधार पर ही उसका जमाबंदी रिकॉर्ड प्राप्त किया जा सकेगा।

देंगे मिश्रित नाम
जिन राजस्व गांवों का नाम गांव के वास्तविक नाम से मिलता-जुलता नहीं है। उन्हें एकीकरण में एक मिश्रित नाम दिया जाएगा। जैसे सुजानगढ तहसील के गांव देवाणी में शामिल राजस्व गांव रामपुर को मर्ज करने पर गांव का नया नाम देवाणी-रामपुर होगा। इस तरह की स्थिति का सामना रतननगर, छापर, बीदासर व सुजानगढ नगरपालिका क्षेत्र में शामिल राजस्व गांवों के नए नाम को लेकर भी होगी। रतननगर में थैलासर, छापर में पाण्डोराई, नरबदाबास, चेतावास, बीड छापर, बीदासर में दडीबा व चक दडीबा आदि ऎसे ही राजस्व गांव शामिल हैं।

क्या रहेगी प्रक्रिया
गांवों के एकीकरण के संबंध में ग्रामीणों की राय जानने के लिए संबंघित पंचायतों को पत्र भेजे हैं। पंचायतों से सहमति मिलने के बाद एकीकरण के प्रस्ताव राजस्व मण्डल अजमेर को भिजवाए जाएंगे। जहां से प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। इस पर राजनीतिक चिंतन व मंथन होने पर सरकार की ओर से अघिसूचना जारी होगी।

होंगे लाभ
-आबादी के हिसाब से गांव का कद बढेगा
-गांव को भविष्य में बैंकिंग व संचार सुविधाएं मिल सकेंगी
-पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं होंगी बेहतर
-प्रशासनिक व्यवस्थाएं सुदृढ बनाई जा सकेंगी
-सरकारी योजनाओं का होगा प्रभावी क्रियान्वयन
-यातायात व आवागमन साधनों में होगा इजाफा
-गांव नगरपालिका बनने के कगार पर पहुंच जाएगा
-सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ होगी
कुछ नुकसान भी
- राजस्व गांव के नाम मिलने वाली अतिरिक्त सुविधा छिनेगी
-राजस्व जमाबंदी का रिकॉर्ड एक ही स्थान पर रहेगा
-सरकारी कर्मचारियों की संख्या कम होगी
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गांवों के एकीकरण की दिशा में कदम बढा दिए हैं। 64 वास्तविक गांवों में उनके मिलते-जुलते नामों के 148 राजस्व गांवों को एकीकरण के लिए चिह्नित किया है। पंचायतों को इस संबंध में पत्र भेजे हैं। पंचायतों की सहमति मिलते ही राजस्व मण्डल को एकीकरण के प्रस्ताव भेजेंगे। इससे ग्रामीणों को नुकसान की तुलना में फायदे अघिक होंगे।
-डा. केके पाठक, जिला कलक्टर, चूरू

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