Thursday, July 15, 2010

बिना धुएं का खाना हुआ 'धुआं'

चूरू । जिले के एक हजार से अघिक सरकारी स्कूलों में मिड डे मील कार्यक्रम के तहत बच्चों को बिना धुएं का भोजन खिलाए जाने का सरकार का सपना धुआं होता जा रहा है। स्कूलों में रसोई गैस की उपलब्धता अब तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है। इसके लिए भले ही रसद विभाग, शिक्षा विभाग व गैस वितरिकों के अलग-अलग दावे-प्रतिदावे रहे हों, मगर स"ााई है कि इस लक्ष्य को पाने में किसी ने भी स"ो मन से कतई प्रयास नहीं किए हैं।
रसद विभाग की मानें तो उन्हें इस संबंध में गैस वितरिकों की ओर से कनेक्शन मुहैया नहीं करवाने की पहले कभी शिकायत ही नहीं मिली । रसद विभाग इस बारे में आगे खोज-खबर कब लेगा यह तो पता नहीं लेकिन गैस वितरकों का यह कहना है कि उन तक कनेक्शन लेने के लिए स्कूलों ने गंभीर प्रयास ही नहीं किए।
उधर, स्कूलों का तर्क है कि आवेदन करने के बाद वितरकों से कई बार सम्पर्क साधा गया किन्तु कनेक्शन देने में उन्होंने रूचि एवं तत्परता नहीं दर्शाई। रसोई गैस के अभाव में भोजन पकाना टेढी खीर साबित हो रहा है।


कब-कब जारी की राशि
शिक्षा विभाग ने रसोई गैस कनेक्शन के लिए मिड डे मील कार्यक्रम से जुडे 136 विद्यालयों के खातों में 1 अक्टूबर 2008 को पांच-पांच हजार रूपए के हिसाब से 6 लाख 80 हजार रूपए जमा करवाए थे। इस साल मार्च में 575 स्कूलों को 23 लाख रूपए जारी किए गए। वर्तमान में किसी भी स्कूल को गैस कनेक्शन नहीं मिल पाया है। कुछ विद्यालयों को छोडकर शेष विद्यालयों ने तो रसोई गैस पाने की दिशा में कदम ही नहीं बढाए हैं।


1231 स्कूलों में समस्या
जिले के 1 हजार 8 8 5 स्कूल में 2 लाख 933 विद्यार्थी मिड डे मील का पोषाहार पा रहे हैं। इनमें दस फीसदी स्कूलों ने अपने स्तर पर रसोई गैस की व्यवस्था कर रखी है जबकि 46 6 स्कूलों में अन्नपूर्णा सहकारी समितियो के माध्यम से पोषाहार पहुंचाया जा रहा है। शेष एक हजार 231 स्कूलों में शाला विकास प्रबंध समिति लकडी व गोबर के उपले से पोषाहार पकाने को मजबूर है।


जोखिम के साथ बीमारी भी
स्कूलों में चूल्हे पर लकडी व गोबर के उपलों से भोजन पकाने पर धूएं के कारण विद्यार्थियों का दम घुटता है। इससे विद्यार्थियो के बीमारियों की चपेट में आने की आशंका भी बनी रहती है। साथ ही पकाने के बाद चूल्हे में लकडियां जलती रहने के कारण छोटे ब"ाों का विशेष्ा ध्यान रखना पडता है।


यह होता है पकाना
कार्यक्रम के तहत कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों को मध्यान अवकाश में भोजन परोसा जाता है। सप्ताह में चार दिन रोटी-सब्जी व दाल-रोटी तथा दो दिन मीठे या नमकीन चावल तथा दाल-खिचडी खिलाई जाती है।
नवम्बर 2009 में कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। आज तक कनेक्शन नहीं मिला। एजेंसी का तर्क है कि कनेक्शन के दस्तावेज संभाग मुख्यालय बीकानेर भेज दिए गए। बीकानेर से कर्मचारी आकर कनेक्शन जारी करेंगे।
-छगनलाल शर्मा, संस्था प्रधान, राउप्रावि नम्बर आठ, चूरू



संस्थाओं को गैस कनेक्शन एग्जम्पटेड श्रेणी में दिया जाता है। जो संभाग स्तरीय ऑफिस से जारी किया जाएगा। करीब 25 विद्यालयों के मामले बीकानेर भिजवाए हुए हैं। स्कूलों को जल्द ही कनेक्शन दिलवाया जाएगा।
-श्यामसुन्दर बगडिया, संचालक, बगडिया गैस एजेंसी, चूरू

स्कूलों में रसोई गैस कनेक्शन नहीं मिलने की जानकारी आज ही बैठक में मिली है। एजेंसियों व शिक्षा अघिकारियों से इस संबंध में चर्चा कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
-हरलाल सिंह, रसद अघिकारी, चूरू


गत शनिवार को गांव श्योपुरा के राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया तो उपलों से पोषाहार पकाया जा रहा था। दो साल से गैस कनेक्शन का इंतजार है। इस संबंध में मंगलवार को आयुक्त को भी पत्र लिखा गया है।
-युनूस अली, सहायक प्रभारी, मिड डे मील कार्यक्रम, चूरू

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