Wednesday, June 23, 2010

ऊपर वाले से जोड़ लो कनेक्शन

दोस्तों, बचपन में हमने दो ही कनेक्शनों का नाम सुना था। एक पानी का और दूसरा बिजली का। पानी के कनेक्शन को लेकर घर में हल्ला तब होता था जब नल से पानी की बजाय हवा आकर रह जाती थी। उस वक्त बाबा पानी महकमे के अधिकारियों को न केवल खूब खरी-खरी सुनाते बल्कि पानी का कनेक्शन ही बदलने तक का मानस बना लेते थे।
बिजली का कनेक्शन तो हर चार-छह महीने बाद घर में बवाल मचा ही देता था। सैकड़ों में आने वाला बिजली का बिल अचानक हजारों में आता देख परिवार में हर किसी को जोर का झटका धीरे से लगता। घर में तीन लट्टू और एक पंखे पर खर्च की गई बिजली के पेटे डेढ़ हजार से अधिक का बिल आने पर बाबा बिल की राशि में संशोधन कराने के लिए महकमे के एईएन, जेईएन व कभी-कभी तो एसई तक पर भड़ास निकाल आते। अधिकारी एक ही जवाब देते कि आपका विद्युत मीटर धीमे चलता है। पिछले कई माह के बिलों की राशि इस बार जुड़कर आ गई। ऐसा वाकया कई बार होने पर बाबा ने एक बार तो बिजली का कनेक्शन ही कटवा दिया था। हालांकि बाद में बिल में संशोधन भी हो गया और हमारा घर रोशन भी।
खैर, छोड़ो उस वक्त हम निकर पहना करते थे, लेकिन पतलून पहननी शुरू की तब एक और कनेक्शन का नाम सुना। वो था टेलीफोन का कनेक्शन। मोहल्ले में एक फैक्ट्री मालिक ने पहली बार टेलीफोन का कनेक्शन लिया तो उन्होंने हर घर में मिठाई बांटी। वो बात बात में ऐसा महसूस कराते कि पूरी दुनिया से उनका घर बैठे कनेक्शन जुड़ गया। मोहल्ले में किसी के भाई, बेटे या रिश्तेदार का उनके टेलीफोन पर फोन आ जाता तो वे ऐसे बुलाने जाते जैसे फोन नहीं बल्कि वो व्यक्ति खुद चलकर उनसे बात करने आया हो।
भाई, मुद्दे की बात तो यह है कि अल्ला की मेहरबानी से हम पढ़ लिख लिए और दो पैसे कमाने भी लगे। मगर पिछले दिनों कालू कसाई की छोरी को छेड़ने के एक झूठे मामले में हम फंस गए। तब हमें हमारे तीन साल पुराने एक भायले ने एक और कनेक्शन के बारें में बताया। और वो था डीटीजी। पड़ गए ना सोच में। डीटीजी यानि डायरेक्ट टू गॉड।
जी, हां दोस्तों जिसने डीटीजी को जान लिया उसने मानों जिंदगी की आधी जंग जीत ली। ऊपर वाले से अगर सीधा जुड़ाव हो तो हमारी बिजली-पानी की तो क्या जीवन की बड़ी से बड़ी परेशानी को हल होते देर नहीं लगती। बशर्त उस अदृश्य शक्ति से हमारा कनेक्शन मजबूत हो यानि उसके प्रति अटूट आस्था और श्रद्धा में कोई कमी नहीं हो। उसने हमारे जीवन में जो होना है और जो ना होना है...वह पहले ही तय कर रखा है। किसी अनहोनी की आशंका में दिल घबरा जाए तो सब कुछ ऊपर वाले पर छोड़ दो। और इस विश्वास के साथ आगे बढ़ जाओ कि लाइफ में जो होगा अच्छा होगा...और जो नहीं हो रहा वो भी अच्छा हो रहा है...हमारे साथ कभी गलत नहीं होगा क्योंकि ऊपर वाले के साथ अपना कनेक्शन अच्छा है।

3 comments:

  1. बहुत अच्छा मित्र। अच्छा लिखा है। मेरी बधाई स्वीकार करें। इस बार के पोस्ट में दम है। वाकई में दम है। लग रहा है कि किसी पढऩे वाले ने लिखा है। ऐसे ही लिखते रहिए मेरी शुभकामनाएं।

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  2. बहुत-बहुत, बहुत ही अच्छा लगा। इससे नास्तिक लोगों को प्रेरणा मिलेगी। ऐसे और आलेख की प्रतीक्षा में.....

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  3. बहुत अच्छा लिखा है।

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