Friday, January 9, 2015

लो बंध गए पग घुंघरू


नन्हों ने शुरू की स्कूल जाने की तैयारी
चूरू. एक जुलाई से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र से घर-घर में नन्हों को स्कूल भेजे जाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। अभिभावक बच्चों को पाटी-पौथी के साथ-साथ बैग, लंच बॉक्स और पानी की बोतल लाकर देने लगे हैं। वहीं बच्चे सुबह खाना खाने, खेलने यहां तक की सोते समय भी स्कूली चीजों को साथ रखना पसंद कर रहे हैं। अभिभावकों की स्थिति यह है कि वे इस चिंता में रहते हैं कि मम्मी-पापा से पलभर की दूरी भी नहीं सहने वाला उनका बच्चा इस बार स्कूल में अकेले समय कैसे बिताएगा। कई बच्चे तो स्कूल का नाम सुनते ही रो पड़ते हैं जबकि कई बच्चों की जुबां पर इन दिनों स्कूल का ही नाम चढ़ा हुआ है। स्कूल के नाम से रोने वाले बच्चों को बार-बार समझाया जा रहा है। कई घरों में तो बच्चों को दिन में परिजनों से दूर रखने का अभ्यास करवाया जाने लगा है। अनेक परिजन बच्चों को कखगघड़ सिखाने लगे हैं। नन्हों को स्कूल भेजने की तैयारी में अभिभावक कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बच्चों की हर जिद पूरी कर रहे हैं। परिजन शुरुआती दिनों में कुछ समय उसके साथ स्कूल में बिताने को भी तैयार हो रहे हैं।

स्कूल में पकडूंगा बिल्ली
वार्ड 39 के विक्रम गोयनका का ढाई वर्षीय बेटा कृष्णा इस बार से स्कूल जाएगा। कृष्णा के दादा व बुआ ने कोलकाता से उसके लिए बैग, लंच बॉक्स और पानी की बोतल भेजी हंै। अपने चाचा चंचल के साथ स्कूल जाने को तैयार कृष्णा कहता है कि वह स्कूल में बिल्ली पकड़ेगा।

मम्मी मुझे तैयार कर दो
मम्मी मुझे तैयार कर दो। स्कूल में देर हो जाएगी। वार्ड 38 के कैलाश बगडिय़ा के तीन वर्षीय बेटे हर्षित को उठते ही स्कूल जाने की चिंता सताने लगी है। इस बार से स्कूल जा रहे हर्षित का उत्साह देखते ही बनता है। हर्षित बताता है कि शुरुआत में तो वह दीदी पलक की कक्षा में बैठता था मगर अब तो स्कूल में उसके कई दोस्त बन गए हैं इसलिए वह अपनी कक्षा में बैठने लगा है।

पापा जुलाई कब आएगी
नयाबास के दीपक स्वामी के तीन वर्षीय बेटे प्रणव को जुलाई का बेसब्री से इंतजार है। उसके पापा ने उसे बताया कि वह जुलाई से स्कूल जाना शुरू करेगा। प्रणव अपने बैग व लंच बॉक्स को दिनभर साथ रखता है। मम्मी बबीता व दादी उमा देवी ने बताया कि प्रणव कहता रहता है कि वह पापा को भी अपने साथ स्कूल लेकर जाएगा।

घर पर लिखते हैं कखगघ
लाल घंटाघर के पास मनोज जांगिड़ का बेटा लक्की व सुनील जांगिड़ की बेटी डिम्पल भी इस बार से स्कूल जाने वालों में से हैं। दोनों ने घर पर ही कखगघड़ लिखने का अभ्यास शुरू कर दिया है। लक्की व डिम्पल गत वर्ष से ही स्कूल जाने की जिद करने लगे थे। इस बार दोनों की जिद पूरी हो जाएगी।

इनकी खरीदारी शुरू
सामान कीमत रु.
टिफिन- 20-90
स्लेट- 5-20
डे्रस- 150-170
बैग- 60-300
पानी की बोतल- 25-40
फैंसी स्टेशनरी- 20-30
पुस्तक (सरकारी सेट) 39
पुस्तक (प्राइवेट सेट) 150-600
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स्टेशनरी की मांग शुरू हो गई है। जुलाई से बिक्री परवान चढ़ेगी। छोटे बच्चों में फैंसी स्टेशनरी का क्रेज है।
-संजय बजाज, स्टेशनरी विक्रेता, चूरू

शहर में रेडीमेड स्कूल डे्रस के 22 सेंटर हैं। सभी पर ग्राहक उमडऩे लगे हैं। पहली बार स्कूल जा रहे बच्चों में डे्रस को लेकर खासा उत्साह है।-लक्ष्मीनारायण चौधरी, स्कूल डे्रस टेलर, चूरूजो बच्चे अपने भाई-बहन के साथ आते हैं उनसे अधिक परेशानी नहीं होती मगर जो अकेले आते हैं, उनको संभालना काफी मुश्किल है।
-महेन्द्र शर्मा, प्रधानाचार्य,एसके मेमोरियल स्कूल, चूरू
प्रस्तुतकर्ता विश्वनाथ सैनी

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