Friday, April 30, 2010

आपणी की निशानी गंदला पानी

स्वच्छता की कसौटी पर खरा नहीं
नमूनों की जांच में हुआ खुलासा
चूरू, 29 अप्रेल। आपणी योजना का पानी शुद्धता और स्वच्छता की कसौटी पर पूर्णतया खरा नहीं उतर पाया है।नहर के गंदले पानी को साफ करने के मापदण्डों की जानबूझकर अनदेखी की जा रही है। योजना के कर्मसाना फिल्टर प्लांट पर तो पानी की स्वच्छता के लिए फिटकरी (एलएम डोज) अंदाजे से डाली जा रही है। वांछित मात्रा से कम फिटकरी डाले जाने का ही परिणाम है कि घरों में गंदले पानी की ही आपूर्ति होती रही है। शिकायत मिलने पर जलदाय विभाग के लोग उपभोक्ता की लाइन में कई रिसाव होने का बहाना बनाकर सच्चाई को झुठलाते रहे हैं।यह खुलासा जलदाय विभाग के रसायनज्ञों की एक टीम की ओर से की गई जांच में हुआ है। रसायनज्ञों ने जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप दी है। जिसमें कर्मसाना फिल्टर प्लांट में नहर के पानी की टर्बिडिटी के अनुसार फिटकरी की मात्रा रोजाना तय करने तथा साहवा फिल्टर प्लांट पर बंद पड़ी प्रयोगशाला को अति शीघ्र शुरू करवाने की सिफारिश की गई है।

ऐसे हुआ खुलासा
सीकर, चूरू व झुंझुनूं के रसायनज्ञों की टीम ने बीस अप्रेल को कर्मसाना व साहवा फिल्टर प्लांट व फील्ड से पानी के 19 नमूने लिए थे। चूरू स्थित जलदाय विभाग की प्रयोगशाला में नमूनों की गहनता से जांच की गई। दोनों फिल्टर प्लांटों का पानी जीवाणु व रासायनिक परीक्षण में सफल रहा परन्तु कर्मसाना फिल्टर प्लांट के पानी में फिल्टरेशन की प्रक्रिया में कमी उजागर हुई है। यहां से फिल्टर होकर घरों तक पहुंच रहे पानी में गंदलापन यानि टर्बिडिटी 6 एनटीयू (नेथलोमेट्रिक टर्बिडिटी यूनिट) पाई गई। जबकि पानी में वांछित मात्रा में फिटकरी मिलाई जाती तो टर्बिडिटी की मात्रा शून्य तक आ सकती थी। हालांकि पानी में दस एनटीयू तक की टर्बिडिटी स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक नहीं है लेकिन निर्धारित मात्रा से अधिक तथा हानिकारक तत्वों के कारण टर्बिडिटी होने पर स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
रोज तय हो मापदण्ड
फिल्टर प्लांट पर नहर का पानी पहुंचते ही लैब में पानी की टर्बिडिटी की लैब में जांच कर उसमें मिलाई जाने वाली फिटकरी की मात्रा तय की जाती है। पानी की टर्बिडिटी घटती-बढ़ती रहती है। इसलिए फिटकरी डालने से पूर्व टर्बिडिटी जांच की प्रक्रिया रोजाना अपनाई जानी आवश्यक है। जबकि वर्तमान में सारा काम अनुमान से हो रहा है। टर्बिडिटी जांच के लिए प्लांट पर पर्याप्त स्टाफ ही नहीं है।

टर्बिडिटी के कारण
-नहर में पानी के प्रवाह का तेज होना।
-पानी की पम्पिंग तेजी से होने।
-अत्यधिक गर्मी व अधिक वाष्पीकरण।
-नहर में कचरा डाल दिए जाने।
-नहरबंदी के चलते रुका पानी आने।
-पानी में शैवाळ जमे होने।
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नमूनों की जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी है। कर्मसाना फिल्टर प्लांट पर समुचित एलएम डोज के लिए संबंधित अधिकारियों को लिखा गया है। साथ ही साहवा फिल्टर प्लांट स्थित प्रयोगशाला को शीघ्र शुरू करवाने की आवश्यकता जताई है।
-सुशील कुमार शर्मा, कनिष्ठ रसायनज्ञ, पीएचईडी, चूरू

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