Saturday, May 1, 2010

18 सौ अंकतालिका रद्दी की टोकरी में

डाइट स्टाफ की भूल, संस्था प्रधानों की लापरवाही
सैकड़ों परीक्षार्थियों का परिणाम प्रभावित
चूरू, 30 अप्रेल। आठवीं बोर्ड परीक्षा को गंभीरता से नहीं लेने की वजह से इस बार अठारह सौ परीक्षार्थियों की अंकतालिकाएं रद्दी की टोकरी में डाल दी गई हैं। यह सब डाइट कर्मचारियों की मानवीय भूल व संस्था प्रधानों की लापरवाही के चलते हुआ है।
हैरत की बात है कि जहां डाइट परीक्षार्थियों की मूल अंकतालिका में बोनस अंक दर्ज करना ही भूल गया तो संस्था प्रधान सत्रांक तक सही नहीं भेज पाए। हालांकि डाइट ने अब त्रुटियां सुधारकर प्रभावित परीक्षार्थियों को नई अंकतालिकाएं जारी कर दी हैं।
इससे कई परीक्षार्थी फेल से पास तो कई फेल पूरक की श्रेणी में आ गए हैं। जिलेभर के कुल 1 हजार 798 परीक्षार्थियों का परिणाम प्रभावित हुआ है। अंकतालिकाओं की त्रुटियां सुधरवाने से परीक्षार्थियों को नुकसान की बजाय फायदा ही हुआ है, लेकिन परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद परीक्षार्थियों और उनके अभिभावकों को मानसिक रूप से तो परेशान होना ही पड़ा है। इसकी कोईजवाबदेही तय नहीं की गई है।
गौरतलब है कि बोर्ड परीक्षा परिणामों के तनाव के कारण विद्यार्थियों में बढ़ती आत्महत्या करने की प्रवृति पर प्रभावी अंकुश के मद्देनजर केन्द्र और राज्य सरकार बोर्ड परीक्षा प्रक्रिया ही बदलने जा रही है।
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परीक्षार्थी ऐसे हुए प्रभावित
डाइट ने किसी विषय में सत्रांक समेत कुल 35 अंक हासिल करने वाले परीक्षार्थियों को बोनस के रूप में एक अंक दिया था, जो तकनीकी खामी की वजह से अंकतालिका में दर्ज नहीं किया जा सका। इससे 778 परीक्षार्थियों का मूल परीक्षा परिणाम तो 718 का पूरक परीक्षा परिणाम प्रभावित हुआ है। शेष की अंकतालिका में मामूली अंतर आया है।
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मांगे साठ भेज दिए बीस
आठवीं कक्षा के अधिकांश विषयों के सत्रांक बीस में से भेजे जाते हैं जबकि कार्यानुभव, कला शिक्षा व स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा विषय के सत्रांक 6 0 में से भेजने होते हैं। सुजानगढ़ तहसील के गांव धात्री के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय ने अपने समस्त 25 परीक्षार्थियों के तीनों विषयों के सत्रांक 6 0 की बजाय 20 में से भेज दिए। डाइट ने विद्यालय प्रबंधन को गलती की जानकारी दी तो अब फिर से सत्रांक भेजे गए हैं। ऐसे में सभी विद्यार्थियों को नई अंकतालिका जारी करनी पड़ी है।
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1998 में भी हुआ ऐसा
डाइट सूत्रों के अनुसार 1998 में जन्मतिथि गलत दर्ज हो जाने के कारण एक हजार से अधिक अंकतालिकाएं बेकार हो गई थीं। इसके बाद इतनी बड़ी संख्या में अंकतालिकाएं कभी खराब नहीं हुई। विद्यालयों की गलती की वजह से दर्जनों अंकतालिकाएं प्रतिवर्ष रद्दी की टोकरी में फेंकनी पड़ती हैं। इस बार डाइट से भी भूल होने के कारण खराब अंकतालिकाओं का आंकड़ा हजार को पार कर गया।
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इनका कहना है....
करीब 18 सौ अंकतालिकाओं में त्रुटियां रह गई हैं। इससे परीक्षार्थियों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होने दिया गया है। त्रुटियां ठीक करवाकर नई अंकतालिकाएं जारी कर दी हैं।
-महावीर सिंह सिंघल, प्राचार्य, डाइट, चूरू

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